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लोकतंत्र में बिहार की आधी आबादी को नहीं मिली उचित हिस्सेदारी, 34 महिला ही बनीं सांसद

News Desk by News Desk
April 28, 2024
in राजनीति
लोकतंत्र में बिहार की आधी आबादी को नहीं मिली उचित हिस्सेदारी, 34 महिला ही बनीं सांसद
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(  कुमार से)
पटना, 28 अप्रैल (कड़वा सत्य) महिला सशक्तीकरण की मिसाल से भरी माता जानकी की भूमि मिथिला में प्राचीन काल से अबतक आधी आबादी कला-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान से लेकर राजनीति तक में अपनी सशक्त पहचान साबित करती आई हैं, लेकिन लोकतंत्र में बिहार की महिलाओं को वह हिस्सेदारी नहीं मिल सकी, जो संविधान ने उन्हें दी है। बिहार में अबतक 17 बार लोकसभा चुनाव हुये और महज 34 महिला ही सदन पहुंचने में सफल रही है।
विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की पुरजोर वकालत करने वाले राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं की इस बार कोई सुध नहीं ली और टिकट बंटवारे के समय चुप्पी साध ली। राजनीतिक दल आधी आबादी को बराबरी का दर्जा देने की बात तो कहते हैं लेकिन टिकट देने के समय उन्हें तरजीह नही देते है। कई बार तो पार्टी निवर्तमान महिला सासंद या विधायक की टिकट काटकर पुरुष प्रत्याशियों को तरजीह देते हैं।
वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में दो महिलायें सांसद बनीं। तारकेश्वरी देवी (तारकेश्वरी सिन्हा) कांग्रेस के टिकट पर पटना पूर्व, और सुष्मा सेन भागलपुर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुयी। वर्ष 1957 में पांच महिलायें सांसद चुनी गयी। बांका सीट से कांग्रेस उम्मीदवार शकुंतला देवी, नवादा से कांग्रेस की सत्यभाामा देवी,चतरा सीट पर छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी (सीएसपीजेपी) के टिकट पर  गढ़ राजघराने के बसंत नारायण सिंह की पत्नी विजया राजे, और हजारीबाग सीट पर (सीएसपीजेपी) के टिकट पर  गढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह की पत्नी ललिता राजे, बाढ़ संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याश तारकेश्वरी देवी सांसद बनीं।
वर्ष 1962 में छह महिलायें सांसद बनी। बांका से कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला देवी, बाढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार तारकेश्वरी देवी, पटना से कांग्रेस प्रत्याशी  दुलारी देवी (  दुलारी सिन्हा),औरंगाबाद से स्वतंत्र पार्टी उम्मीदवार ललिता राजे लक्ष्मी, जहानाबाद से कांग्रेस की सत्यभामा देवी, और चतरा से स्वतंत्र पार्टी उम्मीदवार विजया राजे ने जीत हासिल की।
1967 में चार महिला सांसद चुनी गयी। बाढ़ से कांग्रेस की उम्मीदवार तारकेश्वरी देवी, चतरा से निर्दलीय उम्मीदवार विजया राजे, धनबाद से जना क्रांति दल (जीएकेडी) प्रत्याशी ललिता राजे, पलामू (सु) से कांग्रेस की कमला कुमारी सांसद चुनी गयी। वर्ष 1971 में पलामू (सु) से कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी ने जीत हासिल की। वर्ष 1977 में कोई महिला प्रत्याशी सांसद नहीं चुनी गयी। 1977 में शून्य प्रतिनिधित्व के बाद जब 1980 में चुनाव हुआ तो पांच महिलाओं ने जीत हासिल की। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा जनता पार्टी के टिकट पर वैशाली से ,शिवहर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी  दुलारी सिन्हा,पूर्णिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार माधुरी सिंह, बेगूसराय से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा साही और पलामू (सु) सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी सांसद बनी।
वर्ष 1982 में लोहरदग्गा सीट पर सांसद रहे कार्तिक उरांव के निधन के बाद उपचुनाव हुआ।उपचुनाव में कार्तिक उरांव की पत्नी सुमति उरांव जीतकर सांसद बनी। कार्तिक उराव छोटानागपुर के ‘काला हीरा’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
वर्ष 1984 में सर्वाधिक नौ महिला सांसद बनीं। मोतिहारी से कांग्रेस प्रत्याशी प्रभावती गुप्ता, वैशाली से जनता पार्टी की किशोरी सिन्हा, शिवहर से कांग्रेस की  दुलारी सिंह, पूर्णिया से कांग्रेस प्रत्याशी माधुरी सिंह ,बांका से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह, बेगूसराय से कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णा साही, पलामू (सु) से कांग्रेस की कमला कुमारी , बलिया से कांग्रेस की चंद्रभानु देवी और लोहरदगा (सु) से कांग्रेस प्रत्याशी सुमति उरांव सांसद बनी। वर्ष 1989 दो महिला सांसद बनी। वैशाली से जनता दल की उषा सिंह और लोहरदगा से कांग्रेस की सुमति उरांव निर्वाचित हुयी। वर्ष 1991 में तीन महिला सांसद चुनी गयी। बेगूसराय से कांग्रेस की कृष्णा साही,महाराजगंज से जनता दल उम्मीदवार गिरिजा देवी और घनबाद से मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित रणधीर प्रसाद वर्मा की पत्नी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी रीता वर्मा सांसद बनीं।
वैशाली के सांसद शिवा शरण सिंह के निधन के बाद वर्ष 1994 में उप चुनाव हुआ। इस चुनाव में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद ने पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा को पराजित किया। वर्ष 1996 में तीन महिला निर्वाचित हुयी ।गया (सु) से जनता दल के टिकट पर भगवती देवी, विक्रमगंज सीट पर जनता दल की कांति सिंह और धनबाद से भाजपा की रीता वर्मा निर्वाचित हुयी। वर्ष 1998 में चार महिला नवादा से मालती देवी, मोतिहारी से राजद की रमा देवी, धनबाद से भाजपा की रीता वर्मा और जमशेदपुर से भाजपा की आभा महतो सांसद बनी।
1999 में पांच महिला सांसद बनी। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह की पुत्रवधू श्यामा सिह ने कांग्रेस के टिकट पर औरंगाबाद ,जदयू की रेणु कुमारी ने खगड़िया ,राजद की कांति सिंह ने विक्रमगंज ,भाजपा की रीता वर्मा ने धनबाद और भाजपा की आभा महतो ने जमशेदपुर सीट पर जीत हासिल की।
वर्ष 2000 में बिहार का बंटवारा हो चुका था। झारखंड अलग राज्य बना। इसके बाद बिहार में 2004 में हुये चुनाव में केवल तीन महिलाएं ही जीत हासिल कर सकीं। इनमें सासा  (सु) से दिग्गज नेता पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन   की पुत्री कांग्रेस उम्मीदवार मीरा कुमार, आरा से राजद की कांति सिंह ,सहरसा से पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर सांसद बनीं। वर्ष 2004 में चार महिला शिवहर से भाजपा की रमा देवी, उजियारपुर से जदयू की अश्वमेघ देवी, आरा से जदयू की मीना सिंह सांसद बनीं।
वर्ष 2010 में बांका सीट पर दिग्विजय सिंह के निधन के बाद हुये उपचुनाव में उनकी पत्नी निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल कुमारी ने जीत हासिल की वर्ष 2014 में तीन महिला सासंद बनी। भाजपा के टिकट पर रमा देवी शिवहर से, मुंगेर से लोजपा की वीना देवी, और सुपौल से कांग्रेस की रंजीत रंजन सांसद बनी।वर्ष 2019 में सीवान से जदयू की कविता सिंह, शिवहर से भाजपा की रमा देवी और वैशाली से लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी ने जीत हासिल की है।
बिहार में अबतक हुये लोकसभा चुनाव में चार महिला तारकेश्वरी देवी ,रमा देवी,रीता वर्मा और कमला कुमारी सर्वाधिक चार-चार बार सांसद बनी। तारकेश्वरी सिन्हा को ग्लैमरस गर्ल ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था । वह 1958-64 तक प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहली महिला उप वित्त मंत्री थीं। उन्हें ब्यूटी विथ ब्रेन कहा जाता था।इसके बाद पांच महिला विजया राजे, ललिता राजे,  दुलारी देवी,कृष्णा साही और कांति सिंह तीन-तीन बार सांसद बनीं।   दुलारी सिन्हा बिहार से राज्यपाल नियुक्ति होने वाली प्रथम महिला रहीं तथा भारतमें चंद उन महिलाओं में से हैं जिनकी केरल के राज्यपाल पद पर नियुक्ति हुई।  दुलारी सिन्हा विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में मंत्री पद पर रही।
आठ महिला शकुंतला देवी,सत्यभाामादेवी, किशोरी सिन्हा, माधुरी सिंह,सुमति उरांव,आभा महतो, मीरा कुमार और रंजीत रंजन दो-दो बार सांसद बनीं। वहीं अन्य 17 महिला सुष्मा सेन ,प्रभावती गुप्ता ,मनोरमा सिंह ,चंद्रभानु देवी , उषा सिंह ,गिरिजा देवी ,लवली आनंद ,भगवती देवी , मालती देवी ,श्यामा सिह ,रेणु कुमारी,अश्वमेघ देवी ,मीना सिंह, पुतुल कुमारी, वीना देवी,कविता सिंह और वीणा देवी एक-एक बार सांसद बनी हैं।
सभी राजनीतिक दलों को आधी आबादी के समर्थन का महत्व पता है, बावजूद इसके सभी बड़े राजनीतिक दलों ने उन्हें टिकट देने में कंजूसी दिखाई है।महिलाओं की बराबरी की बात तो सभी दल करते हैं, लेकिन चुनाव में जब महिला उम्मीदवारों को उतारने की बात आती है, तो सभी दल किनारा कर लेते हैं। महिला को सशक्त करने का उनका रुख ठंडे बस्ते में चला जाता है।
भरपूर सम्मान एवं बराबरी की हिस्सेदारी का दावा करने वाले राजनीतिक दल इस चुनाव में भी आधी आबादी से किए अपने वादे भूल गए। बिहार में अबतक हुये लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक चार बार जीतने वाली रमा देवी को भाजपा ने इस बार के चुनाव में शिवहर से बेटिकट कर दिया है।राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीटों मे तालमेल के तहत शिवहर सीट इस बार जदयू को मिली है। जदयू ने शिवहर सीट से पूर्व सांसद लवली आनंद को चुनावी रणभूमि में उतारा है।महिला आरक्षण बिल या नारी शक्ति वंदन विधेयक पास कराने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार के लोकसभा चुनाव में महिला शक्ति को नजर अंदाज किया है।बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली और महिलाओं को राजनीति में लाने की हिमायती का मुलम्मा जाहिर करने वाली भाजपा ने बिहार में एक भी महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
राजग के घटक दल जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने दो महिला सीवान से विजया लक्ष्मी देवी और शिवहर से लवली आनंद को टिकट दिया है। राजग के घटक दल लोजपा- विलास ने वैशाली से वीणा देवी और समस्तीपुर से शांभवी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।राजग के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया है। कुल मिलाकर राजग ने इस बार के चुनाव में 40 सीट में से चार सीट पर महिलाओं को टिकट दिया है। वहीं इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया गठबंधन) ने छह महिला शक्ति पर भरोसा जताया है।
(इंडिया गठबंधन) में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार में आधी आबादी को टिकट देने के मामले में इस बार सभी दलों से बाजी मार ली है। गैया बकरी चरती जाए, मुनिया बेटी पढ़ती जाए। नारा देने वाले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सर्वाधिक छह महिला शक्ति को चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की दो पुत्री मीसा भारती और रोहिनी आचार्य , बीमा भारती, रितु जायसवाल, अनिता देवी और अर्चना रविदास शामिल है। मीसा भारती,पाटलिपुत्र, रोहिनी आचार्य, सारण ,बीमा भारती, पूर्णिया, रितु जायसवाल , शिवहर,, अनिता देवी , मुंगेर और अर्चना रविदास जमुई (सु) से चुनाव लड़ रही हैं।इनमें मीसा भारती को छोड़ अन्य पांच महिला शक्ति पहली बार लोकसभा के रण मे अपनी तकदीर आजमा रही हैं।इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने किसी महिला शक्ति को मौका नहीं दिया है। इंडिया गठबंधन में शामिल वामदल ने भी किसी महिला को चुनाव में नहीं जगह दी है। वामदल में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा),मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) से कोई महिला चुनावी मैदान में नही हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने भी इस चुनाव में महिला शक्ति की उपेक्षा की और किसी महिला को मौका नहीं दिया।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा प्रदान करने वाला महिला आरक्षण विधेयक पास हो गया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी। हालांकि जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक वर्ष 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा।फिलहाल लोकसभा में बिहार की तीन महिला सांसद हैं, जो महज 7.5 फीसद भागीदारी हैं। यदि महिला आरक्षण लागू हुआ तो बिहार से कम से कम 13 महिला लोकसभा पहुंचेंगी।
   
कड़वा सत्य

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