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होम्योपैथी का प्रभाव और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए निरंतर शोध, शिक्षा एवं वैश्विक सहयोग पर जोर

News Desk by News Desk
April 12, 2024
in देश
होम्योपैथी का प्रभाव और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए निरंतर शोध, शिक्षा एवं वैश्विक सहयोग पर जोर
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नयी दिल्ली 12 अप्रैल (कड़वा सत्य) होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की प्रभावशीलता और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए निरंतर शोध, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक सहयाेग पर बल दिया गया है।
आयुष मंत्रालय के सहयोग से यहां संपन्न होम्योपैथी अंतर्रारष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा गया कि होम्योपैथी की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए निरंतर शोध को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे युवाओं को आकर्षित किया जा सके।
दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने किया था, संगाेष्ठी का समापन कल देर शाम संपन्न हुआ। संगोष्ठी में आयुष के क्षेत्र में सात पद्म पुरस्कार विजेताओं ने भी हिस्सा लिया। इसके अलावा 6,000 से अधिक प्रतिभागियों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं, शिक्षाविदों, छात्रों और शिक्षकों ने होम्योपैथी के लिए सार्थक चर्चा की। संगोष्ठी की मुख्य विषय “अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना” था। इसमें होम्योपैथी अनुसंधान, नैदानिक तौर-तरीके और बाजार संबंधी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक व्यक्ति होम्योपैथी से लाभान्वित हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में ऐसे अनुभवों को केवल तभी स्वीकार किया जा सकता है जब अनुभवों को तथ्यों और विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया जाए। वैज्ञानिक वैधता प् ाणिकता का आधार बनती है और प् ाणिकता के साथ स्वीकृति और लोकप्रियता दोनों में वृद्धि होगी। अनुसंधान को सशक्त बनाने तथा दक्षता बढ़ाने के आपके प्रयास होम्योपैथी को बढ़ावा देने में लाभकारी होंगे। इससे होम्योपैथी से जुड़े सभी लोगों को लाभ होगा, जिनमें डॉक्टर, मरीज, औषधि निर्माता और शोधकर्ता शामिल हैं।
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल खुराना ने कहा कि सरकारी संरक्षण के कारण, होम्योपैथी ने एक व्यापक आधारभूत संरचना विकसित की है और भारत इस चिकित्सा प्रणाली में एक वैश्विक अग्रणी बन गया है। इसका सार्वजनिक लाभ लेने के लिए साक्ष्य-आधारित अनुसंधान होना चाहिये। सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक ने वर्तमान युग में साक्ष्य आधारित अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया। पद्मभूषण और पद्मश्री वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा पद्मश्री डॉ. एचआर नागेंद्र, पद्मश्री डॉ. वी. के. गुप्ता, पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा, पद्मश्री डॉ. कल्याण बनर्जी और पद्मश्री डॉ. आर. आर. पारीक ने अपने अनुभव साझा किए।
होम्योपैथिक क्षेत्र से जुड़ी समिति, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अध्यक्ष और पूर्व महानिदेशक, सीसीआरएच, डॉ. राज के. मनचंदा ने कहा कि होम्योपैथी औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल की उपलब्धता और गुणवत्ता संबंधी अतिरिक्त मानकों को अपनाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों में आयुष वैज्ञानिक अध्यक्ष डॉ. संगीता ए. दुग्गल, सलाहकार (होम्योपैथी) आयुष मंत्रालय, बोर्ड ऑफ एथिक्स एंड रजिस्ट्रेशन फॉर होम्योपैथी, एनसीएच के अध्‍यक्ष डॉ. पिनाकिन एन त्रिवेदी, होम्योपैथी के लिए मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड, एनसीएच के अध्‍यक्ष डॉ. जनार्दनन नायर, डॉ. होम्योपैथी शिक्षा बोर्ड, एनसीएच के अध्‍यक्ष डॉ. तारकेश्वर जैन, डॉ. नंदिनी कुमार आयुष प्रतिष्ठित पीठ उपस्थित थे। संगोष्ठी में नीदरलैंड, स्पेन, कोलंबिया, कनाडा और बंगलादेश के आठ प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई। इसमें 17 सीसीआरएच प्रकाशन का लोकार्पण किया गया।
संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों के दौरान, प्रसिद्ध चिकित्सकों ने होम्योपैथी के साथ असाध्य रोगों के प्रबंधन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। पशुओं के मामलों में होम्योपैथी के सकारात्मक परिणाम भी पशु चिकित्सकों ने प्रदर्शित किए। अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने अनुसंधान संबंधी प्रमुख गतिविधियों के निष्कर्षों को साझा किया। अनुसंधान, शिक्षा क्षेत्र में सुधार, होम्योपैथी में वैश्विक परिप्रेक्ष्य, होम्योपैथिक दवाओं में गुणवत्ता आश्वासन और अंतःविषय अनुसंधान पर चर्चाएं हुईं।
सत्या,  
कड़वा सत्य

Tags: education and global collaboration to increase the impact and acceptance of homeopathy.New Delhi: Emphasis on continuous researchजोरनयी दिल्लीनिरंतरपरप्रभाव और स्वीकार्यताबढ़ानेलिएशिक्षा एवं वैश्विक सहयोगशोधहोम्योपैथी
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