पटना, 11 मई (कड़वा सत्य) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता लाल कृष्ण आडवाणी के रथ को पटना के गांधी सेतु के पार कराकर नित्यानंद राय नेशनल हीरो बन गये थे।
श्री आडवाणी की अगुवाई में 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली गई थी। मुद्दा था अयोध्या में जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाना। इसका सीधा-सीधा उद्देश्य था कि रथयात्रा के माध्यम से देश व्यापी स्वरूप देकर समर्थन जुटाएंगे। 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंच कर शंखनाद करेंगे।इस दौरान आडवाणी ने अपने संबोधन में कहा था कि सौगंध की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे।गुजरात के सोमनाथ मंदिर से इस यात्रा को शुरू करने का उद्देश्य था कि जिस तरह आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर को पुनर्निमित किया गया, वैसे ही अयोध्या में भी मंदिर बनाया जाए।भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आडवाणी का रथ तैयार करवाने की जिम्मेदारी प्रमोद महाजन को मिली थी। इस रथ यात्रा को देश के तमाम हिस्सों से होते हुए अयोध्या पहुंचना था।लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा बिहार में लोकतंत्र की जन्मभूमि कहे जाने वाले हाजीपुर पहुंचने वाली थी। इसे रोकने के लिए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव आमादा थे। उन्होंने ऐलान भी कर दिया था कि रथ को गांधी सेतु पार नहीं करने दिया जाएगा। उसी वक्त भाजपा के युवा चेहरा रहे नित्यानंद राय ने लालू यादव की सत्ता को चुनौती दी और ऐलान किया कि रथ यात्रा को हाजीपुर में नहीं रोकने दिया जाएगा। नित्यानंद राय ने महापंचायत बुलाकर ऐसा जनसमर्थन जुटाया कि सरकार आडवाणी का रथ हाजीपुर में रोकने का साहस नहीं जुटा पायी। इस घटना के बाद नित्यानंद सुर्खियों में छा गये और नेशनल हीरो बन गये। हालांकि बाद में जब आडवाणी का रथ समस्तीपुर पहुंचा तब 23 अक्टूबर को आईएएस ऑफिसर राजकुमार सिंह (आर.के.सिंह) ने आडवाणी को समस्तीपुर के सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया। आर.के.सिंह मौजूद समय में केन्द्रीय मंत्री हैं और आरा संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अयोध्या में 500 वर्षों के संघर्ष एवं हजारों बलिदानों के बाद 22 जनवरी 2024 को भगवान लला अपने दिव्य, भव्य, नव्य रूप में श्री मंदिर में विराजमान हो गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या के मंदिर में गर्भगृह में लला की प्राण प्रतिष्ठा हुयी।
लालू यादव की सरकार से सीधे दो-दो हाथ करने की उस घटना के बाद नित्यानंद राय का सियासी सफर परवान चढ़ा। गांव-देहात की राजनीति करते हुए नित्यानंद राय देश के गृह राज्यमंत्री के पद तक पहुंचे। नित्यानंद राय के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1981 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में हुयी। वर्ष 1990 में वह भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 1995-96 में नित्यानंद राय भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव बनाए गये। वर्ष 1999 में वह भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में नित्यानंद राय को हाजीपुर से टिकट मिला और विधायक बन गये। इसके बाद वह यहां से लगातार तीन बार औैर चुने गये।
परिसीमन आयोग की सिफारिश पर 2008 में उजियारपुर सीट का गठन हुआ। वर्ष 2009 में उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में हुये पहले चुनाव में जनता दल यूनाईटेड की अश्वमेघ देवी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी पूर्व सांसद आलोक कुमार मेहता को मात दी। इसके बाद वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी नित्यानंद राय ने राजद प्रत्याशी आलोक कुमार मेहता को मात दी। वर्ष 2016 में नित्यानंद राय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये। वर्ष 2019 में भाजपा के नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रत्याशी उपेन्द्र कुश्वाहा को पराजित कर दिया।नित्यानंद राय की अगुवाई में बिहार में वर्ष 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी 17 सीट अपने नाम कर ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) ने वर्ष 2019 के चुनाव में 40 में से 39 सीट अपने नाम की थी।
उजियारपुर राजग का गढ़ रहा है। राजग ने यहां तीन बार लगातार वर्ष 2009, 2014 और 2019 में जीत हासिल की है।एक ओर भाजपा के टिकट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय हैं, जिन्हें अमित शाह ने अपना जिगरी दोस्त बताया है। अमित शाह ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा कि नित्यानंद राय उनके जिगरी दोस्त हैं और वह यहां उन्हें जिताने के लिए आए हैं। अमित शाह ने यह भी कहा कि जनता नित्यानंद राय को चुनाव जिताकर संसद में भेजे।दूसरी ओर राजद के टिकट पर महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे आलोक कुमार मेहता हैं।नित्यानंद राय जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में हैं, वहीं आलोक मेहता 2009 और 14 में लगातार दो हार के बाद इस बार जीतने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं।नित्यानंद राय जीत की हैट्रिक लगाने के लिए धुआंधार प्रचार और जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं तो दूसरी ओर आलोक कुमार मेहता का प्रयास है कि वे इस बार उजियारपुर में अपना खाता खोल लें। अब तक वे दो बार चुनाव हार चुके हैं। हार की हैट्रिक न लगे, इसके लिए वे भी समर्थकों के साथ दिन-रात प्रचार करने में जुटे हैं।
नित्यानंद राय का कहना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश-प्रदेश का विकास हुआ है। उजियारपुर में घर-घर विकास की गंगा पहुंची है। लोग इसे महसूस कर रहे हैं। जनता विकास चाहती है। इस कारण लोगों के मन में पीएम मोदी बसे हुए हैं। इस बार भी लोग मोदीजी को ही वोट करेंगे। वहीं राजद के आलोक कुमार मेहता का कहना है कि बेराजगारी, गरीबी उन्मूलन, आम आदमी की नागरिक सुरक्षा, संविधान बचाओ के मसले पर हम चुनाव लड़ रहे हैं। 17 महीने में तेजस्वी यादव ने ट्रेलर दिखाया है। लड़ाई उजियारपुर की जनता और भाजपा के बीच है।आलोक कुमार मेहता चुनाव प्रचार के दौरान नित्यानंद राय पर यह कहकर निशाना साधते हैं कि 10 साल के उनके कार्यकाल में जितना विकास होना था नहीं हुआ। वह बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को भी चुनावी मुद्दा बनाते हैं। जबकि नित्यानंद राय चुनाव प्रचार के दौरान जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों के बारे में बताते हैं। उन्होंने यहां मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे राष्ट्रवाद के मुद्दों को भी चुनाव प्रचार में शामिल किया है।
उजियारपुर में राजद के बागी नेता अमरेश राय मुकाबला को त्रिकोणीय बना रहे हैं। वह राजद से टिकट मांग रहे थे लेकिन टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए हैं। अमरेश राय के चुनाव लड़ने की वजह से यादव वोटों का बंटवारा हो सकता है और इससे राजद के उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा के इस बार राजग के साथ होने की वजह से भी नित्यानंद राय को फायदा मिलेगा। उपेन्द्र कुश्ववाहा इस बार काराकाट की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
उजियारपुर सीट वैशाली के पातेपुर और समस्तीपुर के उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीनगर और विभूतिपूर विधानसभा क्षेत्र को जोड़कर बनाया गया है। पातेपुर और मोहिउद्दीननगर में भाजपा, उजियारपुर और मोरवा में राजद, सरायरंजन में जदयू जबकि विभूतिपुर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का कब्जा है।आलोक मेहता उजियारपुर से विधायक हैं।
उजियारपुर संसदीय सीट से भाजपा, राजद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) समेत 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 45 हजार 408 हैं। इसमे नौ लाख 19 हजार 919 पुरूष, आठ लाख 25 हजार 469 महिला और 20 थर्डजेंडर हैं, जो चौथे चरण में 13 मई को होने वाले मतदान में इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
कड़वा सत्य