नयी दिल्ली 20 जनवरी (कड़वा सत्य) केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि भारत का सामाजिक सुरक्षा दायरा 48.8 प्रतिशत हो गया है और 65 प्रतिशत आबादी केंद्र सरकार की योजनाओं के अंतर्गत कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ के दायरे में है।
श्री मांडविया ने यहां ‘अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा दायरा: चुनौतियां और नवाचार’ पर दो दिन की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि सामाजिक सुरक्षा आम लोगों तक पहुंचनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह एक सतत प्रक्रिया बनी हुई है। महान दार्शनिक चाणक्य का उल्लेख करते हुए डॉ. मांडविया ने जोर दिया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों, विशेष रूप से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को सभी प्रकार के लाभ और जीवन जीने संबंधी पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों को भी सामाजिक सुरक्षा जैसे उपाय प्रदान किए जाने चाहिए।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, सचिव सुमिता डावरा, आईएसएसए अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अजमान सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के आकार और जनसांख्यिकीय विविधता को देखते हुए, पिछले एक दशक में किसी भी अन्य देश ने अपने नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा में सुधार के लिए भारत के समान काम नहीं किया है। उन्होंने आईएलओ की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का सामाजिक सुरक्षा दायरा 24.4 प्रतिशत से दोगुना होकर 48.8 प्रतिशत हो गया है। देश के लगभग 92 करोड़ लोग, यानी 65 प्रतिशत आबादी, केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ के दायरे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य सुरक्षा, पेंशन सुरक्षा, आजीविका सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे लोगों के लिए व्यापक सहयोग सुनिश्चित हुआ है।
डॉ. मांडविया ने विशिष्ट उपलब्धियों उल्लेख किया, जिनमें 60 करोड़ भारतीयों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा के अंतर्गत देश भर में 24,000 से अधिक अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले निशुल्क खाद्यान्न वितरण से 80 करोड़ लोग लाभान्वित होते हैं। उन्होंने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर 30 करोड से अधिक अनौपचारिक श्रमिकों का पंजीकरण करने और सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँचा है।
श्री मांडविया ने बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि घोषणा की कि नई श्रम संहिता में गिग श्रमिकों को परिभाषित किया है, और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सत्या.
कड़वा सत्य