नयी दिल्ली, 01 अगस्त (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में ‘पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम 2006’ को बरकरार रखते हुए कहा कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण के भीतर आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का उप-वर्गीकरण किया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की संविधान पीठ ने छह-एक के बहुमत वाले अपने फैसले में पंजाब के अलावा तमिलनाडु और अन्य राज्यों में इस तरह के उप-वर्गीकरण के लिए कानून की वैधता को बरकरार रखा।