बेंगलुरु, 25 अप्रैल (कड़वा सत्य) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय को “पूर्ण आरक्षण” देने के राज्य सरकार के फैसले पर कर्नाटक के मुख्य सचिव को तलब करने की घोषणा की।
एनसीबीसी ने फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इतना व्यापक वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने आज जारी एक बयान में आरक्षण के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने के राज्य सरकार के कदम की आलोचना की।
श्री अहीर के अनुसार, यह व्यापक वर्गीकरण मुस्लिम समाज के भीतर विविधता और जटिलताओं को पहचानने में विफल रहा है।
उन्होंने कहा “हालांकि मुस्लिम समुदाय के भीतर वास्तव में वंचित और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्ग हैं, मुस्लिम समाज के भीतर पूरे धर्म को पिछड़ा मानने से विविधता और जटिलताओं की अनदेखी होती है।”
एनसीबीसी ने आरक्षण नीतियों के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया जो विभिन्न समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखे। मामले पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के बावजूद, आयोग ने इसे असंतोषजनक पाया और निर्णय पर स्पष्टीकरण देने के लिए मुख्य सचिव को तबल करने का फैसला किया है।
कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के भीतर सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIबी के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह वर्गीकरण उन्हें भारतीय संविधान के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरी नियुक्तियों में आरक्षण लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक ने स्थानीय निकाय चुनावों में मुसलमानों सहित पिछड़े वर्गों को 32 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है। 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 12.92 प्रतिशत है।
कड़वा सत्य