नयी दिल्ली 14 मई (कड़वा सत्य) रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के 250 वें स्थापना दिवस के मौके पर मंगलवार को मुंबई में एक छोटी पनडुब्बी के प्रोटोटाइप, सौर इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नौका और ईंधन-सेल इलेक्ट्रिक फेरी (नौका) का उद्घाटन किया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार एमडीएल के स्थापना दिवस को यादगार बनाने के लिए श्री अरमाने की अध्यक्षता में मुंबई में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में मुंबई पोर्ट अथॉरिटी से अधिग्रहित भूमि का उद्घाटन, स्वदेशी छोटी पनडुब्बी के एक प्रोटोटाइप का जलावतरण, सौर इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नौका और ईंधन सेल इलेक्ट्रिक फेरी की कमीशनिंग, एमडीएल का स्मारक सिक्का जारी करना और तकनीकी सेमीनार का आयोजन आदि शामिल है।
रक्षा सचिव ने एमडीएल को देश का एक अनमोल रत्न करार करार देते हुए कहा कि इसने नौसेना के साथ-साथ वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए क्षमताओं का निर्माण करके देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा में बहुत योगदान दिया है। उन्होंने एमडीएल की सराहना करते हुए कहा कि यह देश का सबसे बड़ा शिपयार्ड है, जो भारतीय नौसेना की अधिकांश परिसंपत्तियों के निर्माण मे योगदान देता है, जिसका एक बड़ा निर्यात बाजार है और विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग है।
श्री अरमाने ने कहा कि भारत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और निजी क्षेत्र को देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करके देश की समुद्री जहाज निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व का उल्लेख करते हुए एमडीएल को युद्धपोत निर्माण प्रौद्योगिकी में अपनी वास्तविक क्षमता से आगे बढने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने शिपयार्ड से निजी क्षेत्र के साथ काम करने और घरेलू जरूरतों के साथ-साथ मित्र राष्ट्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समुद्री जहाज निर्माताओं का एक संघ बनाने का आग्रह किया।
रक्षा सचिव ने अरब सागर में अपने अभियानों को पूरा करने के साथ साथ अपने क्षेत्र और उसके आस पास सुरक्षा प्रदान करने में भारतीय नौसेना द्वारा निभाई जा रही प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए नौसेना यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी और लिए जहाज निर्माताओं को भी योगदान देना होगा। उन्होंने कहा, “भारत किसी भी चीज की निरंतर आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकता है। नवाचार के माध्यम से नवीनतम तकनीकों का उत्पादन करने के लिए स्वदेशी क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है। अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हमें शीर्ष श्रेणी की प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने की आवश्यकता है।”
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कड़वा सत्य