नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (कड़वा सत्य) आपराधिक मामलों की जांच से लेकर , साक्ष्य और दंड के पुराने नियमों और कानूनों की जगह संसद में पारित तीन नयी संहिताओं पर एक परिचर्चा में इन सुधारों को समय की जरूरत बताते हुये कहा कि त्वरित न्याय की व्यवस्था बहुत जरूरी है।
अधिवक्ता परिषद दिल्ली के तत्वावधान में ‘आपराधिक कानूनों में सुधारों के लिए 2023
के विधेयकों पर एक अंतर्दृष्टि’विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि भारत
के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है। उन्होंने कहा कि हमारी कानूनी प्रणाली में इस समय यह प्रक्रिया सजा सी बन जाती है। उन्होंने इसके कारण पर प्रकाश डालते हुये कहा कि किसी विचाराधीन कैदी या अभियुक्त को 15 साल बाद आरोप से बरी किया जाये तो यह न्याय की दृष्टि से उचित नहीं कहा सकता।
आयोजकों की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पटियाला हाउस कोर्ट में आयोजित
इस कार्यक्रम में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को समर्पित तीन सत्र आयोजित किये गये पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुये पटियाला हाउस कोर्ट के जिला न्यायाधीश संजय गर्ग ने सिंगापुर में कोई व्यक्ति एक साल में सभी कानूनी उपायों का लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में भी नयी व्यवस्थाओं का लक्ष्य यही होना चाहिये।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में विधि विभाग की प्रोफेसर डॉ सीमा सिंह और दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित साहनी भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। श्री साहनी ने कहा कि इन सुधारों की बहुत पहले से जरूरत थी लेकिन ये तीनों विधेयक देरी से आये। श्री साहनी ने भारतीय दंड संहिता 1860 कीधारा धारा 304ए का उदाहरण दिया, जिसमें किसी इंसान की मोटर वाहन से टक्कर में मौत का मामला जमानती अपराध बना दिया गया था, क्योंकि उस जमाने मेंमोटर वाहन केवल अंग्रेजों के पास थे।
भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पर चर्चा सत्र में विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस सुधीर कुमार सिरोही ने कहा कि इन विधेयकों की इन विधेयकों पर इस तरह की चर्चायें जगह-जगह करायी जानी चाहिये, इससे इससे आपराधिक न्याय प्रणाली मजबूत होगी। अधिवक्ता परिषद की पटियाला हाउस इकाई के अधिवक्ता नीरज श्रोत्रीय और अधिवक्ता जलज अग्रवाल ने चर्चा का प्रबंधन। कार्यक्रम में अधिवक्ता परिषद के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल थे।
मनोहर.श्रवण