नयी दिल्ली 18 दिसंबर (कड़वा सत्य) देश भर के खेल वैज्ञानिकों, शारीरिक शिक्षकों, खेल प्रशिक्षकों और शोधकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान समय में खेल विज्ञान के समायोजन के बिना खेलों की प्रगति संभव नहीं है।
खेलों में बढ़ती विज्ञान की भूमिका को लेकर प्रगति मैदान में खेल मंत्रालय के सहयोग से पेफी के द्वारा आयोजित सातवीं खेल विज्ञान कांफ्रेंस के आज अंतिम दिन नेशनल सेण्टर ऑफ स्पोर्ट्स साइंस एवं रिसर्च के निदेशक डॉ. बिभू कल्याण नायक ने कहा कि खेलों में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा और चौंकाने वाले परिणामों को देखते हुए यह जरूरी है कि भारतीय खेल जल्द से जल्द खेल वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भविष्य की रणनीति बनाए जिससे कि देश आने वाले समय में खेलों की महाशक्ति बन सकें। उन्होंने कहा कि यह बिना खेल विज्ञान के यह संभव नहीं है।
इस अवसर पर नाडा के डायरेक्टर जनरल आशीष भार्गव ने पेफी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय खिलाड़ियों को ग्रास रूट से ही एंटी डोपिंग की जानकारी देना जरूरी है, यह भी खेल विज्ञान का एक महत्वपूर्ण विषय है, उनके अनुसार बहुत से खिलाड़ी डोपिंग रूल्स की जानकारी के अभाव में गलती से डोपिंग के केस में पकडे जा कर अपना भविष्य बर्बाद कर लेते है ।
खेल मंत्रालय के निदेशक विमल आनंद ने मंत्रालय के द्वारा खेल विज्ञान को लेकर चलाई जा रही मुहीम की जानकारी दी। उन्होंने पेफी के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते कहा की खेल मंत्रालय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में खेलों के विकास के लिए प्रयत्नशील है अभी हाल ही में एशियाई गेम्स में रिकॉर्ड प्रदर्शन इस बात का गवाह है कि खेल मंत्रालय के प्रयास फलीभूत हो रहे है।
इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में देश के 30 राज्यों से खेल वैज्ञानिक शामिल हुए और दो दिन में 100 से अधिक पेपर प्रेजेंट कर एक नया रिकॉर्ड बनाया गया।
इस अवसर पर एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटी के पूर्व जॉइंट सेक्रेटरी स्पोर्ट्स डॉ. गुरदीप सिंह द्वारा लिखित पुस्तक अल्टीमेट ड्रीम फॉर ओलिंपिक गोल्ड का विमोचन किया गया और 11 अध्यापकों को स्पोर्ट्स इंडिया अवार्ड दिये गए।
राम