बागपत 09 फरवरी (कड़वा सत्य) किसान मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा के साथ उनकी कर्मभूमि बागपत में अपार उत्साह देखने को मिला। लोगों ने एक दूसरे को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराया।
दरअसल, बागपत के लोगों के लोगों की जुबान पर चौधरी चरण सिंह आज भी जिंदा है और वे उनके दिलों में बसते हैं। वह बागपत को अपना घर और यहां लोगों को अपना निजी परिवार मानते थे। उन्होंने किसानों के हित के लिए जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक संघर्ष किया। सत्ता में रहते हुए भी उन्होंने किसानों के हित में अनेक बड़े फैसले भी लिए।
बागपत चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि रही है। जीवन भर उनका का बागपत की धरती से जुड़ाव रहा। यहां की छपरौली सीट से पहली बार वे 1937 में विधायक बने और उसके बाद से लगातार यहां के लोगों ने उनको अपनी पलकों पर बैठाएं रखा। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों के हितों के लिए फैसले लिए। उनके कारण ही प्रदेश में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और उन्होंने ही पटवारी पद नाम को समाप्त कर लेखपाल के पद का भी सृजन किया।
चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित किया। तीन अप्रैल 1967 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और एक साल बाद ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए मध्यावधि चुनाव में उनको सफलता मिली और दोबारा से 17 फरवरी 1970 को वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वह केंद्र में गृहमंत्री बने।
बताया गया कि 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री भी बने और इसके बाद भी बागपत के लोगों से उनका जुड़ाव कम नहीं हुआ। अक्सर वह कहा कहते थे कि बागपत ही उनका घर है और यहां के लोग उनके परिवार के सदस्य है।
चौधरी चरण सिंह ने राजनीतिक नुकसान की परवाह किए बिना किसानों का साथ दिया। बताया जाता है कि नागपुर में जनवरी 1959 में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने खुलकर सामूहिक खेती का विरोध किया और जवाहरलाल नेहरू की नीतियों का इस तरह से विरोध करने पर उनको राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा। वह काफी लंबे समय तक कांग्रेस से बाहर रहे, लेकिन किसानों के हित के लिए अपनी बातों पर डटे रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौधरी चरण सिंह से जुड़ीं यादों को लोगों ने आज भी घरों में संजोकर रखा हुआ है। किसी के पास उनके साथ खींचे गए फोटो है तो किसी के पास उनके भेजे हुए पत्र। रालोद के वरिष्ठ नेता ओमबीर ढाका बताते है कि चौधरी चरण सिंह आज भी यहां के लोगों के दिलों में बसते हैं। उनसे जुड़ी यादें लोगों ने आज भी संजोकर रखी हुई हैं और उनसे जुड़े किस्से आज भी लोग सुनाते हैं।
रालोद नेता व पूर्व प्रधान राजू तोमर सिरसली कहते है कि चौधरी चरण सिंह से जुड़े किस्से आज भी यहां सुनाए जाते हैं और उनकी निस्वार्थ राजनीति की मिसाल सभी राजनीतिक दल देते हैं। रालोद के वरिष्ठ नेता रामकुमार धामा, भोपाल सिंह, डॉ सुरेश चंद कौशिक, डॉ संजीव आर्य आदि का कहना है कि कोई भी कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, बागपत की धरती पर सभा करने से पूर्व चौधरी चरण सिंह को अवश्य याद करता हैं। आज भी किसी भी नेता का भाषण चौधरी चरण सिंह को नमन करने के बाद ही शुरू होता हैं।
सं प्रदीप