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जब कोई इतिहास से अनभिज्ञ राम को काल्पनिक बताता है तो होती है पीड़ा-धनखड़

News Desk by News Desk
January 13, 2024
in राजनीति
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जब कोई इतिहास से अनभिज्ञ राम को काल्पनिक बताता है तो होती है पीड़ा-धनखड़
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जयपुर 13 जनवरी (कड़वा सत्य) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित बताते हुए कहा है कि जब कोई अज्ञानी, इतिहास से अनभिज्ञ राम के काल्पनिक होने का हलफनामा दे देते हैं, तब पीड़ा होती है।
श्री धनखड़ ने शनिवार को जयपुर में आयोजित नेशनल इलेक्ट्रो होम्योपैथी सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राम और राम-राज्य का आदर्श भारत के संविधान में निहित है और संविधान के निर्माताओं ने इसको पराकाष्ठा पर रखा है। उन्होंने कहा “हमारे संविधान में बीस से ज्यादा चित्र हैं और उनमें मौलिक अधिकारों के ऊपर जो चित्र है उसमें राम-लक्ष्मण-सीता हैं। जो लोग भगवान राम का निरादर कर रहे हैं, वास्तव में वह हमारे संविधान निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं, जिन्होंने बहुत सोच समझकर विवेकपूर्ण तरीके से प्रभु राम के उन चित्रों को वहां रखा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज तभी स्वस्थ रहेगा जब समाज के सभी अंग एक साथ रहेंगे। हमारी संस्कृति यही कहती है सब मिलकर काम करो एकजुटता से रहो। उन्होंने कहा “जो लोग समाज को हिस्सों में बांटना चाहते हैं, तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए जहर फैलाना चाहते हैं, वे ही 35 बनाम एक की बात करते हैं, 20 बनाम 10 की बात करते हैं।”
श्री धनखड़ ने कहा कि वह लोग समाज के ही दुश्मन नहीं बल्कि खुद के भी दुश्मन हैं और उनका आचरण अमर्यादित ही नहीं, घातक है। उन्होंने कहा “मेरा अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को सबक सिखाने की दरकार नहीं है क्योंकि वह अपने हैं। उनको जागरूक करने की दरकार है, उनको समझाने की दरकार है, सही रास्ते पर लाने की दरकार है और यह काम संस्थागत तरीके से नहीं अपने पड़ोस में होना चाहिए, अपने समाज में होना चाहिए, जिस वर्ग से हम जुड़े हुए हैं वहां होना चाहिए।” उन्होंने आह्वान किया कि हम सबका परम कर्तव्य है कि समाज को जोड़ने का कार्य करें।
श्री धनखड़ ने उपमुख्यमंत्री डा प्रेमचंद बैरवा का जिक्र करते हुए कहा “मैं पिछले साल सितंबर में धन्ना भगत जाट की जन्मस्थली चौरू धाम, दूदू जाना चाहता था। पर तत्कालीन सरकार ने कह दिया कि यहां पर हेलीकॉप्टर नहीं उतर पाएगा। स्वाभाविक है कि लोग चाहते हैं कि जब अपनों में से कोई ऊपर जाता है तो हम उसका स्वागत भी करें और अपेक्षा भी रखते हैं। तब श्री बैरवा के सुझाव पर किसान रामू लाल भामू ने जिलाधीश को लिखकर दिया कि मेरा खेत ले लो जिसमें तीनों हेलीकॉप्टर एक साथ उतर सकते हैं।”
उन्होंने लोगों से भारतीयता और राष्ट्रवाद के लिए प्रतिबद्ध रहने का आग्रह करते हुए कहा कि राष्ट्रहित सदैव सर्वोपरि रहना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने लोगों को ऐसे तत्वों के विरुद्ध भी चेताया जो तात्कालिक राजनैतिक स्वार्थों के लिए समाज में बंटवारे और वैमनस्य के बीज डालते हैं, देश की उपलब्धियों को कमतर आंकते हैं, समाज में देश की प्रगति के बारे भ्रांतियां फैलाते हैं। उन्होंने प्रबुद्ध समाज से आग्रह किया कि वे ऐसे लोगों से प्रतिशोध न लें बल्कि उनका मार्गदर्शन करें, देश हित में उन्हें समझाएं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का लोहा तो आज विकसित देश भी मान रहे हैं। भारतीय मेधा और प्रतिभा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज हर अंतरराष्ट्रीय संस्था और विश्व की हर बड़ी कंपनी के उच्च पदों पर भारतीय या भारतीय मूल के नागरिक आसीन हैं।
पिछले दशक में भारत की उपलब्धियों को बताते हुए उन्होंने कहा “हाल के वर्षों में हम कहां से कहां पहुंच गए, आज हम विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं कुछ वर्षों में हम जापान और जर्मनी से भी आगे विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होंगें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत कभी किसी को पीछे नहीं छोड़ता, वह महज अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा सामाजिक सशक्तिकरण और विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से स्वच्छता और शौचालय का आह्वाहन करते हैं तो देश का मानस और मानसिकता बदलती है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ के देश में 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण, 10 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को रसोई के धुएं से मुक्ति दी गई। संसार का सबसे व्यापक स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम “आयुष्मान भारत” चलाया जा रहा है।
जन स्वास्थ्य के संदर्भ में ही उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि वे आयुर्वेद की हजारों सालों की पूंजी को अपनाएं। उन्होंने सरकार द्वारा औषधीय वनस्पतियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की स्थापना को सराहनीय प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की तरह इलेक्ट्रो होम्योपैथी भी औषधीय वनस्पतियों के रस पर आधारित है। इसी क्रम में उन्होंने किसानों से भी आग्रह किया कि वे अपने युवाओं को कृषि और कृषि संबंधित व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजस्थान की तरह अन्य राज्य भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अनुमोदन करें, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। इस क्रम में उन्होंने इलेक्ट्रो होमोयोपैथी के अभ्यासियों और संसद की स्वास्थ्य संबंधी समिति के बीच बैठक कराने का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने आधुनिक जीवन शैली के कारण हो रही बीमारियों की रोकथाम में आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक पारंपरिक चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
श्री धनखड़ ने व्यवसायियों और उद्योगों से आर्थिक राष्ट्रवाद अपनाने का आह्वाहन किया और इसके लिए तीन मंत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि जब विदेशों में निर्मित दिए और खिलौने आयात किए जाते हैं तो हम देश के शिल्पियों के हाथ से अवसर छीनते हैं। उन्होंने उद्योगों से कहा कि वे देश की प्रगति के लिए सिर्फ अपरिहार्य सामान का ही आयात करें।
उपराष्ट्रपति ने देश से कच्चे माल के निर्यात पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम कच्चे माल की जगह वेल्यू एडेड सामान का निर्यात करें जिसके निर्माण में देश के कामगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। तीसरा, उन्होंने कहा कि हम अपने ही धन के ट्रस्टी हैं उसका सार्थक और आवश्यक उपयोग ही करें, फिजूलखर्च और दिखावे से बचें। अधिक धन होना हमको संसाधन व्यर्थ बर्बाद करने की अनुमति नहीं देता।
जोरा

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