जयपुर 14 जनवरी (कड़वा सत्य) राजस्थान में पारंपरिक कालीन बुनकरों की कला एवं सहज रचनात्मकता को ग्रामीण क्षेत्रों में बढावा देने के लिए जयपुर जिले के फागी में आयोजित तीन महीने के परिवर्तनकारी कलाकार निवास एवं प्रदर्शनी ट्रेड सॉफ्टली में बुनकर अपनी कला का हुनर दिखा रहे है।
आगामी 31 मार्च तक अयोजित इस कार्यक्रम में भारत के प्रमुख कालीन निर्माता जयपुर रग्स ने इसके लिए धुन जयपुर के साथ सहयोग किया है। जयपुर रग्स की डिजाइन निदेशक कविता चौधरी के अनुसार इस अनूठी पहल का उद्देश्य ग्रामीण राजस्थान में पारंपरिक कालीन बुनकरों की सहज रचनात्मकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इस आवासीय कार्यक्रम में विभिन्न बैचों में बुनकर तीन सप्ताह के लिए एक सहायक वातावरण में अपनी कलात्मक क्षमता का प्रदर्शन कर रहे है। उन्होंने कहा कि जयपुर रग्स ने धुन जयपुर के साथ हाथ मिलाया है, जो शिक्षा, कार्य, वाणिज्य और जीवन की पुनर्कल्पना के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि ट्रेड सॉफ्टली सिर्फ एक प्रदर्शनी ही नहीं है बल्कि धुन जयपुर में तीन सप्ताह के कलाकार रेजीडेंसी कार्यक्रम के लिए एक मंच है जो मनचाहा बुनकर-डिजाइनरों को एक सहायक माहौल में अपनी कलात्मक क्षमता का पता लगाने क अवसर देता है।
इस कार्यक्रम में प्रदेश की ग्रामीण महिला बुनकरों को धुन जयपुर में आमंत्रित किया गया है जिससे उन्हें दैनिक जिम्मेदारियों से मुक्त एक स्थान मिला है जो पूरी तरह से कला के निर्माण के लिए समर्पित है। व्यक्तिगत रूप से या सहयोगात्मक रूप से काम करते हुए बुनकर धुन के परिदृश्य और जीवन से प्रेरणा लेते हैं, जिससे अद्वितीय सौंदर्यशास्त्र और डिजाइन शैली बनती है।
रेजीडेंसी का जोर 3-डी मूर्तिकला कालीनों की खोज करना है जो प्रत्येक भाग लेने वाले कलाकार के लिए एक नया कौशल है और पारंपरिक आयामी बुनाई कला में बदलाव कलाकारों को अपनी रचनात्मक दृष्टि की सीमाओं को आगे बढ़ाने की चुनौती देता है। परिणामी टुकड़ों की कल्पना दीवार पर लगी कलाकृतियों के रूप में की गई है जो गलीचों के पारंपरिक रूप और कार्य से अलग हैं।
उन्होंने बताया कि ‘ट्रेड सॉफ्टली’ में मनचाहा संग्रह की उद्घाटन प्रदर्शनी भी शामिल है जो 2580 वर्ग फुट में फैली हुई है। महिला बुनकरों की कला को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी जनता के लिए खुली है और निर्देशित पर्यटन की पेशकश जो दर्शकों को बुनकरों की दुनिया से जोड़ती है। यह प्रदर्शनी खुले आसमान के नीचे होती है जहां आने वाले लोग बुनकरों, कला और उनकी कहानियों के एक अनूठे संग्रह से रुबरु हो पाते है। इससे कलाकार और उसकी कला को प्रोत्साहन मिलता है।
कविता चौधरी ने बुनकरों की कलात्मक प्रकृति पर जोर देते हुए कहा “ प्रत्येक कारीगर अपने आप में एक कलाकार है और मनचाहा परियोजना के माध्यम से, हम बुनाई की ध्यान प्रक्रिया के माध्यम से मानव अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता का उपयोग करते हैं। इस तरह हमारे बुनकर दुनिया के सर्वोच्च वैश्विक डिजाइन पुरस्कार जीतते हैं, बस अपने भीतर ट्यूनिंग द्वारा।”
उन्होंने मनचाहा परियोजना के बारे में बताते हुए कहा कि ‘दिल क्या चाहता है’, यह डिज़ाइन और सामाजिक प्रभाव को मिलाने वाली एक अनूठी पहल है, जो बुनकरों को व्यक्तिगत कहानियों और सांस्कृतिक तत्वों से युक्त गलीचे बुनकर खुद को अभिव्यक्त करने का अवसर देती है और परिणामों को वैश्विक मान्यता मिली है, जिसमें जर्मन डिज़ाइन अवार्ड, एले डेकोर अवार्ड और लोवे फाउंडेशन क्राफ्ट पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले सभी कलाकर उत्साहित हैं और अपने हुनर को मौके पर ही प्रदर्शित करने में लगे हैं जहां यह प्रदर्शनी 31 मार्च तक जनता के लिए खुली है।
जयपुर रग्स एक पारिवारिक व्यवसाय है, जो पैतृक जानकारी की रक्षा करने और ग्रामीण शिल्प कौशल को वैश्विक उपभोक्ताओं से जोड़ने के उद्देश्य से मजबूती के साथ आगे बढ़ा है। अपने मूल में मानवीय पहलू को स्थान देकर कंपनी भारत में कारीगरों का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गई है, इनमें 90 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।
जोरा