नयी दिल्ली 12 अगस्त (कड़वा सत्य) इस वर्ष जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई पांच वर्ष के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गयी जबकि पिछले वर्ष जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत पर रही थी और इस वर्ष जून में यह 5.08 प्रतिशत पर थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार महंगाई में यह गिरावट बेहतर बेस इफेक्ट की वजह से आई है। जुलाई में खुदरा महंगाई अगस्त 2019 के बाद के निचले स्तर पर आयी है। जुलाई में ग् ीण इलाकों में महंगाई 4.1प्रतिशत रही जबकि जून में 5.66प्रतिशत थी। इसी तरह से जुलाई में शहरी इलाकों में महंगाई 2.98प्रतिशत रही जबकि जून में 4.39प्रतिशत थी, जुलाई में खाद्य महंगाई दर 5.42प्रतिशत रही जबकि जून में 9.36प्रतिशत थी।
इस वर्ष जुलाई में अनाज की महंगाई 8.14 प्रतिशत रही जबकि जून में 8.75प्रतिशत थी। इसी प्रकार से जुलाई में दालों की महंगाई 14.77 प्रतिशत रही जबकि जून में 16.07प्रतिशत थी। जुलाई में मांस और मछली की महंगाई 5.97 प्रतिशत रही जबकि जून में 5.39 प्रतिशत थी। अंडों की महंगाई जुलाई में 6.76 प्रतिशत रही जबकि जून में 3.99प्रतिशत थी। दूध, दुग्ध उत्पादों की महंगाई जुलाई में 2.99 प्रतिशत रही जबकि जून में 3प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई जुलाई में 6.83प्रतिशत रही जो जून में 29.32 प्रतिशत थी। हाउसिंग की महंगाई जुलाई में 2.68प्रतिशत रही जबकि जून में 2.69प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई को चार प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में लाने की कोशिश की है और यह पहली बार है जब खुदरा महंगाई केन्द्रीय बैंक के लक्षित दायरे से नीचे आ गयी है। जनवरी में खुदरा महंगाई 5.01 प्रतिशत, फरवरी में 5.09प्रतिशत, मार्च में 4.85प्रतिशत, अप्रैल में 4.83प्रतिशत, मई में 4.75प्रतिशत और जून में 5.08प्रतिशत रही है।
इसबीच अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जुलाई-सितंबर 2024 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के 4.4 प्रतिशत महंगाई दर के अनुमान की तुलना में महंगाई दर में गिरावट आश्चर्यजनक हो सकती है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025 के लिए कुल महंगाई दर के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर रखा है। हालांकि उसने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए 3.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत महंगाई दर का अनुमान लगाया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त को घरों में महंगाई की बढ़ती उम्मीदों पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था कि मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट मौद्रिक रुख में बदलाव का कारण नहीं है। रिजर्व बैंक ने 8 अगस्त को अपनी नीतिगत बैठक में लगातार नौवीं बार नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था।
शेखर
कड़वा सत्य