नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (कड़वा सत्य) स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के निजी संस्थान पारस हेल्थ “ डबल स्टेंटिंग ” प्रक्रिया से जन्मजात हृदयरोग से पीड़ित 36 वर्षीय एक पुरुष का सफल उपचार करके उत्तर भारत में यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला अस्पताल बन गया है।
पारस हेल्थ की गुरुग्राम इकाई में हृदय रोग विशेषज्ञों के समूह में पीडियाट्रिक एवं एडल्ट स्ट्रक्चरल हार्ट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीपक ठाकुर, कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. अमित भूषण शर्मा और कार्डियेक एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डाॅ. आलोक राजन ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि रोगी का उपचार अभूतपूर्व नॉन-सर्जिकल ऑपरेशन से किया गया।
डाॅ. शर्मा ने बताया कि डबल स्टेंटिंग प्रक्रिया से पुरुष में एक दुर्लभ जन्मजात हृदय विकार को ठीक किया गया है। इस मरीज को कई महीनों से कमजोरी महसूस हो रही थी। निदान के दौरान पता चला कि दिल में से असामान्य आवाज़ आ रही है। जांच में मरीज़ साइनस वेनोसस एएसडी (एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट) नामक एक दुर्लभ जन्मजात हृदय विकार से पीड़ित पाया गया। इस स्थिति में हृदय के ऊपरी चैम्बर (एट्रिया) में एक छेद होता है। इस स्थिति में मरीज़ों को थकान, दबाव, असहनशीलता, काम करने की कम क्षमता और सांस फूलने का आभास होता है।
डाॅक्टरों ने बताया कि यह मामला छेद के स्थान के कारण अद्वितीय था। हृदय की भित्ति में ऊँचाई था। ऐसे जटिल मामलों में आमतौर से “इन्वेज़िव ओपन-हार्ट सर्जरी” की जाती है।
डॉ. दीपक ठाकुर ने बताया कि यह प्रक्रिया बेहोश करके की गई, जिसमें जांघ से धड़कते दिल तक पहुंचा गया, और इस प्रक्रिया में बाईपास सर्जरी या लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखे जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी। इस प्रक्रिया में मरीज़ तेज़ी से स्वस्थ होता है, और शरीर पर बिना किसी निशान या दर्द के अगले दिन अपने काम पर लौट सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत में अभी तक केवल तीन ऐसे मामलों का इस प्रक्रिया से उपचार किया गया है। पहले दो चेन्नई में हैं और तीसरा गुरुग्राम हैं। उन्हाेंने बताया कि रोगी का उपचार करने से पहले चेन्नई, जर्मनी और सिंगापुर के चिकित्सकों से गहन विचार विमर्श किया गया और प्रक्रिया में प्रयोग किये गये उपकरण भी कई देशों से मंगवायें गये।
सत्या,आशा