पटना 24 जून (कड़वा सत्य) बिहार के अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के महानिरीक्षक पी. कन्नन ने आज कहा कि नए आपराधिक कानून दंड केंद्रित नहीं बल्कि न्याय केंद्रित हैं।
श्री कन्नन ने सोमवार को यहां प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी), पटना की ओर से कर्पूरी ठाकुर सदन में तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लेकर आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘कड़वा सत्यलाप’ को संबोधित करते हुए कहा कि नए आपराधिक कानूनों से समय पर न्याय मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी। उन्होंने बताया कि पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान किया है।
सीआईडी महानिरीक्षक ने बताया कि भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर मामला दायर करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है ।
बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर के निदेशक बी. श्रीनिवासन ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफआईआर से लेकर अदालत के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा। श्री श्रीनिवासन ने कहा कि इस नये कानूनों के लेकर बिहार पुलिस प्रशासन ने अपनी पहल शुरू कर दी है। इस सिलसिले में 26 हजार से अधिक एसआई से लेकर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रैंक तक के अधिकारियों को हाईब्रीड मोड में प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण देने का मकसद साफ है कि नये आपराधिक कानूनों की जानकारी पुलिसकर्मियों को सही-सही हो और उसका अनुपालन हो ताकि जनता को किसी भी तरह की परेशानी न हो सके।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना के कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने अपने संबोधन में कहा कि इस ऐतिहासिक कानून के बनने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई है। पुराने कानून हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कार्रवाई को प्राथमिकता देने की बजाय ब्रिटिश राज्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी।
श्री मुस्तफा ने कहा कि इस कानून को लेकर बिहार सरकार ने जो तैयारी की है वह ऐतिहासिक और सराहनीय है। जब नये कानूनों में बदलाव हो रहा है तब और नयी चीजों को जोड़ने की जरूरत थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि मीडिया ट्रायल से बचें, इससे कानूनी व्यवधान पड़ता है। नये आपराधिक कानूनों में कई प्रावधान किए गयें हैं जो स्वागत योग्य हैं, इससे मानवीय पक्ष सामने आएगा।