नयी दिल्ली 19 जनवरी (कड़वा सत्य) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पशुओं के प्रति सद्भाव रखने और सामंजस्य बनाने पर बल देते हुए कहा है कि भारतीय संस्कृति और विरासत आस-पास के जीव जंतुओं के साथ प्यार से रहना सिखाती है।
श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं कड़ी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जानवर पालतू हों या जंगल में रहने वाले पशु, इंसानों से उनका नाता कई बार हैरान कर देता है। जानवर भले बोल नहीं पाते, लेकिन उनकी भावनाओं को, उनके हाव-भाव को, इंसान भली-भांति भांप लेते हैं। जानवर भी प्यार की भाषा को समझते हैं, उसे निभाते भी हैं। उन्होंने असम के नौगांव में जंगली हाथियों के लिए एक विशेष घास उगाने का जिक्र किया और कहा कि इससे ग् वासियों की खेती बच गई है।
श्री मोदी ने कहा, “नौगांव’ हमारे देश की महान विभूति श्रीमंत शंकरदेव जी का जन्म स्थान भी है। ये जगह बहुत ही सुंदर है। यहाँ हाथियों का भी एक बड़ा ठिकाना है। इस क्षेत्र में कई घटनाएं देखी जा रही थी जहां हाथियों के झुंड फसलों को बर्बाद कर देते थे , किसान परेशान रहते थे, जिससे आस-पास के करीब 100 गांवों के लोग बहुत परेशान थे लेकिन गांव वाले हाथियों की भी मजबूरी समझते थे। उन्हें पता था कि हाथी भूख मिटाने के लिए खेतों का रूख कर रहे हैं इसलिए गांववालों ने इसका समाधान निकालने की सोची। गावंवालों की एक टीम बनी जिसका नाम था ‘हाथी बंधु’। हाथी बंधुओं ने सूझ-बूझ दिखाते हुए करीब 800 बीघा बंजर भूमि पर एक अनूठी कोशिश की। यहाँ गांववालों ने आपस में मिल-जुल कर नेपियर घास लगाई। इस घास को हाथी बहुत पसंद करते हैं। इसका असर ये हुआ कि हाथियों ने खेतों की ओर जाना कम कर दिया।”
उन्होंने कहा कि यह हजारों गांववालों के लिए बहुत राहत की बात है। उनका ये प्रयास हाथियों को भी खूब भाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति और विरासत हमें आस-पास के पशु–पक्षियों के साथ प्यार से रहना सिखाती है। बीते दो महीनों में देश में दो नए बाघ ारण्य बनाए गए हैं। ये छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास–तमोर पिंगला बाघ अभ्यारण और मध्य प्रदेश में रातापानी बाघ ारण्य हैं।
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