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बलराज के कुशल नेतृत्व में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर ने स्थापित किए नये आयाम

News Desk by News Desk
May 12, 2024
in राजनीति
बलराज के कुशल नेतृत्व में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर ने स्थापित किए नये आयाम
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जयपुर 12 मई (कड़वा सत्य) राजस्थान में प्रसिद्ध श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर ने उसके कुलपति डा बलराज सिंह के कुशल नेतृत्व एवं उनकी कड़ी मेहनत एवं टीम वर्क की भावना के साथ काम करने से पिछले डेढ़ साल में ही नीचले पायदान से ऊपर उठकर नये आयाम स्थापित किए हैं।
डा सिंह ने विश्वविद्यालय में कुलपति के रुप में अपने डेढ़ साल पूरे होने पर उपलब्धियों के बारे में “यूनीकड़वा सत्य” से बातचीत में बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद अक्टूबर 2022 में उन्हें इस विश्वविद्यालय में कुलपति के रुप में काम करने का अवसर मिला तब उनके सामने कई चुनौतियां थी और कड़ी मेहनत करते हुए पटरी से उतरे सिस्टम को वापस पटरी पर लाया गया। कोरोना के चलते बिगड़े हालात के कारण उसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ा और कक्षाएं नहीं लगी।
उन्होंने बताया कि बच्चों को होस्टलों में लाकर बराबर कक्षाएं लगाकर नियमित पढाई शुरु की गई और पूरे सिस्टम को सुधारा गया जो कोरोना के समय पटरी से उतरा गया था। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अलग अलग जगहों पर आठ नई कृषि कालेजों के भवन बन रहे है वहां काम गति से चल रहा है और बराबर इस काम की मॉनटरिंग की जा रही है।
उन्होंने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय देश में सबसे बड़ा कृषि विश्विद्यालय हैं जहां सब मिलाकर चार हजार विद्यार्थी हैं। उन्होंने यहां अनुसंधान के बाद गेंहू, ग्वार, मूंगफली, बाजारा सहित कई फसलों की कई किस्में जारी हुई हैं और अब बेल पत्र आ रहा जिसकी एक किस्म आगामी दिनों में सामने आयेगी। इसकी खासियत है कि इसमें पाले को सहन करने की क्षमता हैं और यह माइनस चार डिग्री सेल्सियस तापमान में भी बच सकती हैं। इसकी शानदार शक्ल एवं साइज हैं और इसका पंजीयन करा दिया गया हैं। यह आसलपुर फार्म पर हैं और उसे जोबनेर विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में लगाया जायेगा । यह उनकी नई उपलब्धि होगी।
उन्होंने बताया कि हरित क्रांति में मोटे अनाज में केवल गेंहू, धान और मक्का पर ही बल ज्यादा दिया गया इस कारण देश में बाजरा एवं जौ की फसलों की पैदावार घट गई और गेंहू की बढ़ गई। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर मोटे अनाज पर ज्यादा फोकस होने के तहत बाजरा और जौ पर भी ध्यान दिया जाने लगा हैं। डा सिंह ने बताया कि अब हम जौ भी गेंहू की तरह दिखने वाला बिना छिलके का जौ तैयार कर रहे है और अगले एक-दो वर्ष में बिना छिलके वाला जौ भी मिला करेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह जौ के चारे को भी आनलेस कर दिया गया है जिससे पशुओं द्वारा इसे खाते समय कोई तकलीफ नहीं होगी। इस तरह पशु के लिए यह फीड बार्ले तैयार किया गया हैं।
उन्होंने बताया कि देश में जौ की पैदावर कम होने के कारण ढाई लाख मैट्रिक टन जौ विदेश से मंगाया जा रहा हैं । उन्होंने बताया कि जोबनेर विश्विविद्यालय ने कोटपूतली के पास नीमराणा में बाल मार्ट से एमओयू साइन किया गया हैं जिसके तहत पांच साल में जौ की दो किस्म दी जायेगी। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद वर्ष 1960 -1970 के समय जौ का क्षेत्र 28 से 30 लाख हैक्टेयर था । हरित क्रांति में गेंहू पर बल ज्यादा देने से यह घटकर अब आठ लाख हैक्टेयर हो गया इसलिए ढाई लाख मैट्रिक टन जौ आयात कर रहे हैं , इसे कम करने के लिए इसे सरकारी पोलिसी में दिया जाने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में एक बैठक होने वाली हैं उसमें यह मुद्दा रखा जायेगा और जौ पर वापस आने पर बात की जायेगी ।
उन्होंने कहा कि जौ को प्रोत्साहित करने के लिए इसकी बिक्री में सरकार को मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जौ की फसल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीति होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि जिस तरह के प्रयास चल रहे है और आगे प्रयास किए जायेंगे इससे वर्ष 2050 तक देश जौ के मामले में फिर से पुराने क्षेत्र 28 -30 लाख हैक्टेयर का पा लेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के तहत किए जा रहे नवाचार एवं अनुसंधान को किसान तक पहुंचाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं और इसके तहत किसानों को बुलाकर सम्मेलनों के माध्यम से उन्हें जागरुक भी किया जा रहा हैं।
उन्हांने कहा कि बिक्री में भी सरकार को मदद करनी चाहिए। जौ का उत्पादन एवं रकबा कम क्यों हुआ और अब क्यों बढ़ाया जाना चाहिए इनको ध्यान में रखते हुए कदम उठाने पड़ेंगे। उत्पादन बढाने के लिए पै ीटर पर खरी उतरने वाली किस्में तैयार की जा रही हैं जिसका किसानों को काफी फायदा मिल रहा हैं।
प्रोफेसर सिंह ने बताया कि पूर्व में विश्वविद्यालय के 12 कालेज प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग को दिए हुए हैं जिन्हें वापस लाने की राज्य सरकार से मांग की गई है। उन्होंने बताया कि क्योंकि इन कालेजों में शिक्षक एवं प्रेक्टिकल की कमी के चलते वहां के विद्यार्थियों की भी मांग है कि इन कालेजों को फिर जोबनेर विश्विविद्यालय को दे दिया जाये। डा सिंह ने बताया कि इस कारण उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार के समय संबंधित मंत्रियों से इन कालेजों को वापस लेने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली और अब फिर से नई सरकार में इन कालेजों को वापस लेने के प्रयास शुरु कर दिए गए हैं और इसके लिए कृषि के प्रमुख सचिव एवं उच्च शिक्षा के कमिश्नर को पत्र लिखा हैं और उन्हें उम्मीद हैं कि शीघ्र ही ये 12 कालेज उन्हें फिर मिल जायेंगे। उन्होंने बताया कि वह बच्चों के भविष्य के मद्देनजर यह सब प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान एमएससी एवं पीएचडी खोली गई जिससे बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर नहीं जाना पड रहा हैं। सरकार से प्रयास करने पर जयपुर के दुर्गापुरा में एक बागवानी कालेज भी खोला गया। इसके अलावा जोबनेर विश्विविद्यालय में खंडर हो रहे क्वार्टरों को करीब डेढ़ करोड़ खर्च करके ठीक कराया हैं और आज वहां लोग रह रहे हैं। होस्टल भी खाली नहीं हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि पढ़ने एवं काम करने के लिए समय ज्यादा मिल रहा है और छुट्टी के दिन भी काम होने लगा हैं।
डा सिंह ने बताया कि वर्ष 1989 से गैर शैक्षणिक में भर्ती कम होने से इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था। पिछले डेढ़ साल में 180 गैर शैक्षणिक एवं लगभग सौ शैक्षणिक में भर्ती की गई । शेष रह गई पोस्टो को भी अब नई स्वीकृतियों के साथ भरे जायेंगे।
हरियाणा के हिसार जिले में एक किसान परिवार में जन्मे डॉ. बलराज सिंह को उनकी काम के प्रति लगन एवं कड़ी मेहनत ने उन्हें कुलपति पद तक लेकर आई और उनका कहना है कि उनके कुलपति बनने के बाद उन्होंने सबके लिए एक ही लक्ष्य रखा कि छात्र और किसान का चहुंमुखी विकास हो। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के लिए अनुसंधान, शिक्षा एवं कृषि विस्तार में एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है और उस पर काम किया जा रहा हैं और इस कारण आज जोबनेर विश्वविद्यालय राजस्थान में नम्बर वन हैं।
उन्होंने बताया कि श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर की स्थापना 2013 में राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर पर शिक्षण प्रदान करने, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा कार्यक्रम संचालित करने के उद्देश्य से की गई। इससे पहले यह देश के सबसे पुराने कृषि कॉलेजों में से एक था। यह विश्वविद्यालय तीन कृषि-जलवायु क्षेत्रों को कवर करते हुए जयपुर, सीकर, अलवर, दौसा, टोंक, अजमेर, भरतपुर और धौलपुर जिले तक कार्य कर रहा है। यह विश्वविद्यालय 12 कृषि/बागवानी/डेयरी स्नातक महाविद्यालय, एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, एक कृषि अनुसंधान संस्थान, 11 संबद्ध महाविद्यालय, आठ कृषि विज्ञान केंद्र, तीन कृषि अनुसंधान केंद्र और चार अनुसंधान उप-केंद्र के साथ राज्य में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान और कृषि विस्तार में अपनी अमिट जगह बनाये हुए है। कृषि उत्पादन, उत्पादकता और कृषि आय बढ़ाने के लिए बेहतर प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए विश्वविद्यालय में सोलह से अधिक अखिल भारतीय समन्वित अनुसन्धान परियोजनाएं कार्यरत हैं।
जोरा
कड़वा सत्य

Tags: efficiefamous Shri Karan Narendra Agricultural University JobnerJaipurRajasthanVice Chancellor Dr. Balraj Singhउनकी कड़ी मेहनतकुलपति डा बलराज सिंहकुशल नेतृत्वजयपुरटीम वर्कनये आयाम स्थापितपिछले डेढ़ सालप्रसिद्ध श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेरभावना कामराजस्थान
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