पुणे, 11 फरवरी (कड़वा सत्य) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि जब भक्ति और शक्ति का मिलन होता है तो गुलामी की बेड़ियां टूट जाती हैं और महाराष्ट्र इन दोनों की भूमि है।
पुणे के आलंदी में आयोजित श्री गीता भक्ति अमृत महोत्सव के आठवें दिन एक सभा को संबोधित करते हुए श्री योगी ने कहा, “यही पर गुरु समर्थ रामदास ने वीर छत्रपति शिवाजी को अपना मार्गदर्शन प्रदान किया था। जब भक्ति और शक्ति मिल जाती है तो गुलामी की बेड़ियाँ टूट गई। पांच सौ साल की गुलामी के बाद भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ हमने अयोध्या में यही देखा है। संतों के सानिध्य और प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से हम सभी 22 जनवरी को ऐतिहासिक तारीख के साक्षी बने हैं। नई और भव्य अयोध्या आप सभी को आमंत्रित कर रही है।’
समारोह के दौरान उन्होंने स्वामी गोविंद देव गिरि को एक अंगवस्त्र और भगवान गणेश की एक मूर्ति भेंट की और साथ ही संत के जीवन की स्मृति में एक स्मारिका का विमोचन किया। उन्हें शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने पारंपरिक अंगवस्त्र से सम्मानित भी किया।
स्वामी गोविंद देव गिरि की 75वीं जयंती के अवसर पर श्री योगी ने वैदिक सनातन धर्म के प्रति संत के आजीवन समर्पण और हिंदू समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की।
उन्होंने अलंदी की यात्रा करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही इच्छा को साझा किया। इस जगह के बारे में उन्होंने बचपन में ज्ञानेश्वरी का अध्ययन करते समय पढ़ा था। उन्होंने कहा, “महज 15 साल की उम्र में ज्ञानेश्वर जी महाराज ने ज्ञानेश्वरी का उपदेश देकर भक्तों को एक नई राह दिखाने का काम किया था और 21 साल की उम्र में ज्ञानेश्वर महाराज ने संजीव समाधि लेकर भारत की आध्यात्मिकता को दुनिया भर में फैलाने का काम किया था।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र की आध्यात्मिक विरासत की प्रशंसा की, जिसका उदाहरण समर्थगुरु रामदास और छत्रपति शिवाजी जैसे दिग्गज हैं, जिनकी वीरता और भक्ति प्रेरणा देती रहती है।
महाराष्ट्र के शौर्य के इतिहास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि उप्र के डिफेंस कॉरिडोर का नाम वीर छत्रपति शिवाजी के सम्मान में रखा गया है, जो उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध की स्थायी भावना को रेखांकित करता है।
श्री योगी ने कहा कि जब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो आगरा में बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी म्यूजियम कर दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे छत्रपति शिवाजी ने अपनी वीरता से औरंगजेब को परेशान कर दिया था।
उन्होंने इस आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए उपस्थित सभी लोगों को विपरीत परिस्थितियों पर भक्ति की विजय के प्रतीक भव्य श्री राम मंदिर के स्थल अयोध्या आने का निमंत्रण दिया।
इस कार्यक्रम में स्वामी रामदेव, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद, स्वामी चिदानंद सरस्वती, स्वामी राजेंद्रदास और अन्य सम्मानित अतिथियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में भक्त और नागरिक उपस्थित थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने पूणे में ज्ञानेश्वर महाराज के संजीवन समाधि मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की। मंदिर में स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
इस मौके पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल के साथ-साथ उप्र के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने ज्ञानेश्वर महाराज की संजीवन समाधि पर पुष्प अर्पित किए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की।
उन्होंने वहां मौजूद संतों से भी मुलाकात की। मंदिर की ओर से मुख्यमंत्री को ज्ञानेश्वर महाराज की तस्वीर भेंट की गई। संतों ने श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति भेंट करके उनका अभिनंदन किया।
सैनी,आशा