नयी दिल्ली/ डावोस (स्विट्जरलैंड), 23 जनवरी (कड़वा सत्य) विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के डावोस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिडल का नेतृत्व कर रहे रेल एवं सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के झटके के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर आने वाले कुछ समय तक निश्चित रूप से छह से आठ प्रतिशत के बीच बनी रहेगी।
श्री वैष्णव ने एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के गिरने के बारे में कहा कि यह तिमाही कई कारकों से प्रभावित रही जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए कर्ज को नियंत्रित करने की नीति, आम चुनाव और असमान मानसूनी वर्षा से प्रभावित रही।
उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था में तीन बड़े लीवर हैं – राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति और ऋण नीति। आरबीआई पिछले कुछ समय से अपने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण जनादेश के कारण तरलता को नियंत्रित कर रहा है। चुनावों और असमान मानसून के साथ मिलकर इसने कई क्षेत्रों में उत्पादन को प्रभावित किया है। मुझे लगता है कि विकास फिर से बेहतर होगा। हम निश्चित रूप से 6 से 8 प्रतिशत वृद्धि दर के बैंड में बने रहेंगे।”
उल्लेखनीय है कि जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर गिर कर सालाना आधार पर 5.4 प्रतिशत रही जो पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत थी। इस दौरान खनन क्षेत्र का उत्पादन सालाना आधार पर 0.1 प्रतिशत घट गया। चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत है जबकि पिछले वित्त वर्ष में भारत का जीडीपी 8.2 प्रतिशत बढ़ा था।
श्री वैष्णव ने कहा कि वैश्विक कंपनियों के लिए भारत अपने प्रतिभापूर्ण मानव संसाधन और डिजाइन की क्षमता के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश विदेश में नीतिगत मोर्चे पर किए गए काम की बदौलत आकर्षक बना रहेगा। रेल मंत्री ने कहा, “यह हमारे पास मौजूद अद्वितीय भारतीय लाभ की स्थिति है। भारत में प्रतिभा की प्रचुरता है। लगभग 2,000 वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) उन्नत डिजाइनों पर काम कर रहे हैं, संचालन के प्रबंधन से लेकर जटिल चिप्स तक के डिजाइन शामिल हैं।”
श्री वैष्णव ने कहा कि आकर्षण का सबसे बड़ा कारक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का पिछले 10 वर्षों में आर्थिक और विदेश नीति का संचालन है। इन नीतियों के कारण, आज दुनिया भारत पर भरोसा करती है। यही कारण है कि इतने सारे लोग न केवल अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं बल्कि मूल्य श्रृंखलाओं को भी भारत में स्थानांतरित कर रहे हैं।
श्री वैष्णव ने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और कौशल पर बहुत ध्यान दे रहा है। रेल मंत्री ने कहा, “एआई के मामले में, हमने अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है, कि कम से कम 10 लाख लोग एआई उपकरण, एआई कौशल के साथ तैयार होने चाहिए। उन्हें उन उपयोग के मामलों को बनाने में सक्षम होना चाहिए, उन अनुप्रयोगों को बनाना चाहिए जो दुनिया चाहती है। हमने कई चीजों में उस तरह का पैमाना दिखाया है।”
उन्होंने कहा कि भारत ने दूरसंचार में, सौ विश्वविद्यालयों में 5जी प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं ताकि छात्र उद्योग के लिए तैयार हों। सेमीकंडक्टर में हमारे पास 240 विश्वविद्यालय हैं जहाँ हमने सबसे उन्नत ईडीए उपकरण दिए हैं ताकि छात्र वास्तव में चिप्स डिज़ाइन कर सकें। पाठ्यक्रम पूरी तरह से उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप हो रहा है।
उन्होंने कहा, “इसलिए मध्य स्तर पर, निचले स्तर पर और शीर्ष स्तर पर, इस मूल्य श्रृंखला के प्रत्येक भाग में हम कौशल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और परिणाम दिखाई दे रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत को विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों पर काम करना है। दोनों को मजबूत करना है। उन्होंने जोर दे कर कहा, “जो लोग यह कहने की कोशिश करते हैं कि भारत विनिर्माण आधारित विकास के मॉडल का पालन नहीं कर सकता, मैं कहना चाहूँगा कि इसमें (भारत) विनिर्माण और सेवाएँ दोनों होनी चाहिए।”
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कड़वा सत्य