वारसा, 22 अगस्त (कड़वा सत्य)भारत और पोलैंड के बीच संबंधों को रणनीतिक साझीदारी के स्तर तक बढ़ाने के फैसले के साथ दोनों देशों ने इसके पंचवर्षीय 10-सूत्रीय कार्ययोजना की भी आज घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के बीच यहां हुई द्विपक्षीय बैठक में यह कार्ययोजना स्वीकृत की गयी। बाद में जारी एक दस्तावेज में कहा गया है कि भारत पोलैंड रणनीतिक साझीदारी की स्थापना से द्विपक्षीय सहयोग में आई गति को पहचानते हुए, दोनों पक्ष पांच सूत्र बनाने और निष्पादित करने पर सहमत हुए। पांच-वर्षीय कार्य योजना जो प्राथमिकताओं के रूप में दस क्षेत्रों में वर्ष 2024 से 2028 के बीच द्विपक्षीय सहयोग का मार्गदर्शन करेगी।
इन 10 क्षेत्रों में राजनीतिक संवाद और सुरक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, जलवायु, ऊर्जा, खनन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परिवहन एवं कनेक्टिविटी, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, लोगों से लोगों के बीच संबंध एवं सांस्कृतिक सहयोग, भारत-यूरोपीय संघ तथा आगे का मार्ग शामिल है। आतंकवाद के मामले में दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश को आतंकवादी कृत्यों को वित्तपोषित करने, योजना बनाने, समर्थन करने या करने वालों को सुरक्षित आश्रय प्रदान नहीं करना चाहिए। दोनों पक्ष सभी आतंकवादियों के खिलाफ ठोस प्रयास करेंगे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा सूचीबद्ध समूहों से जुड़े व्यक्तियों को नामित करना भी शामिल है।
भारत-यूरोपीय संघ के बीच संबंधों के संदर्भ में दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि यूरोपीय संघ और भारत शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदार हैं और दोनों पक्ष चल रहे भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश कड़वा सत्य के शीघ्र समापन, भारत-यूरोपीय संघ व्यापार के संचालन का समर्थन करेंगे और व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी), नई प्रौद्योगिकियों और सुरक्षा में भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए भारत-ईयू कनेक्टिविटी साझीदारी का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेंगे।
आगे बढ़ने के मार्ग को लेकर दोनों पक्षों ने कहा कि वे गतिविधियों की समीक्षा और अद्यतन करने के लिए प्राथमिक तंत्र के रूप में वार्षिक राजनीतिक प र्श के साथ कार्य योजना के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी सुनिश्चित करेंगे। अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए कार्य योजना के विस्तार को विदेशी मामलों के प्रभारी संबंधित मंत्रियों द्वारा अपनाया जाएगा।
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