नयी दिल्ली/ डेलावेयर (अमेरिका), 22 सितंबर (कड़वा सत्य) भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी की पहल के तहत पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण उन्न्त कंपाउंड सेमीकंडक्टर सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के लिए भारत में एक संयंत्र की स्थापना के लिए ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस फैब को भारत सेमीकंडक्टर मिशन के सहयोग के साथ भारत सेमी के नए उद्यम, थर्डआईटेक और अमेरिकी अंतरिक्ष बल के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी में स्थापित किया जाएगा। यह नया सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र इंफ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए होगा।
राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा, अगली पीढ़ी के दूरसंचार और हरित ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए उन्नत संवेदन, संचार और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित सेमीकंडक्टर विनिर्माण फैब्रिकेशन सुविधा के लिए सहयोग की इस व्यवस्था की सराहना की है। थर्डआईटेक और अमेरिकी अंतरिक्ष बल के साथ सहयोग की घोषणा पहली बार जून 2023 में की गयी थी।
भारत सेमी नाम से इस फैब को संयुक्त रूप से बनाने की मुख्य योजनाओं की घोषणा 21 सितंबर 2024 को डेलावेयर में नेताओं की द्विपक्षीय बैठक में की गई।
अमेरिका ने क्वाड में शामिल देशों में फिलहाल भारत के साथ इस तरह के सहयोग की सहमति दी है।
सरकार की ओर से इस विषय में दिए गए विवरण के अनुसार यह भारत और अमेरिका के बीच इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला सहयोग है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब अमेरिकी सेना भारत के साथ इन अत्यधिक मूल्यवान प्रौद्योगिकियों के लिए प्रौद्योगिकी साझेदारी करने के लिए सहमत हुई है। यह दोनों देशो के बीच 2000 के दशक में हुए असैन्य परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।
सरकार ने कहा है कि यह सेमीकंडक्टर फैब संयंत्र न केवल भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला बहु-सामग्री वाला फैब होगा।
शक्ति नामक भारत सेमी फैब आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए तीन आवश्यक स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसमें उन्नत संवेदन, उन्नत संचार और उच्च वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल होगी।
इससे रेलवे, दूरसंचार अवसंरचना और डेटा केंद्रों और हरित ऊर्जा जैसे वाणिज्यिक क्षेत्रों की भी बहुत बड़ी मदद मिलेगी।
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह प्रधानमंत्री मोदी की भारत को चिप लेने वाले से चिप निर्माता बनाने के विजन का हिस्सा है और यह एक राष्ट्रीय सम्पत्ति है। माना जा रहा हे कि यह समझौता तकनीकी कूटनीति में एक उदाहरण है है और आने वाले वर्षों में यह भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में इतिहास की किताबों में दर्ज हो जाएगा
भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए का वर्तमान में एक अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर का हर वर्ष आयात कर रहा है।
सरकार का कहना है कि अमेरिकी अंतरिक्ष बल के साथ साझेदारी की प्रकृति एक प्रौद्योगिकी साझेदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण है। यह अंतरिक्ष बलों की इस तरह की पहली अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी है। अमेरिकी सेना पिछले 5 वर्षों से थर्डआईटेक के साथ काम कर रही है ताकि हमारी क्षमताओं में विश्वास पैदा हो सके और अब हम साझेदारी के इस अगले चरण में प्रवेश कर सकें।
भारत सेमी नाम भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 से प्रेरित है जिसमें कहा गया है कि “इंडिया जो भारत है। सरकार ने कहा कि इसमें भारत नाम के साथ यह उम्मीद जुड़ी है कि यह एक संस्था के रूप में विकसित होगी, वैश्विक स्तर पर एक गहरी प्रौद्योगिकी दिग्गज, एक रणनीतिक संपत्ति जिस पर भारत गर्व कर सकता है।
सैनी
कड़वा सत्य