नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (कड़वा सत्य) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन के एक अखबार के साथ बातचीत में कहा है कि उनके नेतृत्व में भारत में संविधान बदलाव तथा देश में लोकतंत्र के भविष्य को लेकर आशांकाएं प्रकट करने वाले उनके आलोचक देश की जमीनी हकीकत से कटे हुए हैं और उनके द्वारा फैलायी जा रही इस तरह की बातें निरर्थक हैं ।
श्री मोदी ने ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, “संविधान में बदलाव की किसी भी बात का कोई मतलब नहीं है।” उन्होंने भारत में लोकतंत्र के लिए खतरे को लेकर उनकी पार्टी और सरकार की आलोचनाओं के बारे में एक सवाल पर कहा, “हमारे आलोचकों के अपने कोई विचार हो सकते हैं और उन्हें अपने विचार रखने की पूरी आजादी भी है, लेकिन आलोचना के रूप में अक्सर आरोप लगाए जाते हैं और ऐसे आरोपों के संबंध में कुछ बुनियादी प्रश्न भी हैं।”
श्री मोदी ने कहा, “उनकी (आलोचकों की) इस तरह की बातें न केवल भारत की जनता की सूझ-बूझ का अपमान हैं बल्कि वे देश की विविधता और लोकतंत्र के प्रति भारत के लोगों की गहरी प्रतिबद्धता की भी अनदेखी करते हैं।” उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स के साथ दिल्ली में अपने निवास पर हुई इस भेंट में भारत में लोकतंत्र की स्थिति के अलावा, अल्पसंख्यकों की दशा तथा कनाडा और अमेरिका में कुछ व्यक्तियों की हत्या या हत्या की योजना में भारतीय एजेंसियों के हाथ होने के आरोपों के बारे में पूछे गए सवालों का उत्तर दिया। उन्होंने रोजगार और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भी बात की
संविधान बदलने की आशंकाओं के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हर काम ‘सबसे पारदर्शी ढंग’ के साथ किए हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (यूपीआई/आधार आदि) जैसे बुनियादी बदलाव संविधान बदलकर नहीं बल्कि लोगों की भागीदारी के साथ किए गए हैं।
भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के भविष्य के बारे में पूछे गए एक सवाल पर श्री मोदी ने भारत के पारसी समुदाय की प्रगति का उल्लेख किया जो भारत में रह रहा ‘एक सूक्ष्म अल्पसंख्यक समुदाय है।’ श्री मोदी ने कहा , ‘दुनिया में दूसरी जगहों पर दमन उत्पीड़न झेलने के बाद उन्हें भारत में सुक्षित जगज मिली जहां वे खुशी से जी रहे हैं और प्रगति कर रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बगैर कहा , यह दर्शाता है कि भारतीय समाज धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति कोई भेदभाव नहीं करता है।”
फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा है कि श्री मोदी ने इस सवाल पर ठहाका लगाया कि उनकी सरकार अपने आलोचकों पर छापे मरवाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक पूरा तंत्र काम कर रहा है जो भारत में मिली आजादी का हर संभव उपयोग कर हमारे खिलाफ हर दिन अखबारों के संपादकीय, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया , वीडियों और ट्वीट आदि के माध्यम से हमारे ऊपर आरोप मढ़ता रहता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्हें अधिकार है कि वे आरोप लगाए, लेकिन दूसरों को भी उन आरोपोंका तथ्यों के साथ जबाव देने का उतना ही अधिकार है।”
श्री मोदी ने कहा कि बाहर बैठे लोगों द्वारा प्रस्तुत इतिहास में भारत को हल्के में लिया गया। वर्ष 1947 में भारत जब आजाद हुआ तो यहां से छोड़ कर जाने वाले अंग्रेजों ने कई तरह की भविष्यवाणियां की थी । भारत ने उन सभी भविष्यवाणियों को गलत सिद्ध किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उसी तरह आज जो लोग उनकी सरकार के बारे में आशंकाएं जता रहे हैं, ‘वे गलत सिद्ध कर दिए जाएंगे।”
रोजगार के सवाल पर श्री मोदी ने नियमित तौर पर जारी किए जाने वाले श्रम-बल सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में बेरोजगारी का अनुपात निरंतर कम हो रहा है।
श्री मोदी ने भारत की विदेश नीति के बारे में एक प्रश्न पर कहा कि विदेशी मामलों में हमारी दिशा तय करने का सबसे बड़ा दिग्दर्शक सिद्धान्त है। उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत के जरिए हम विभिन्न देशों के साथ पारस्परिक हितों का सम्मान करते हुए, व्यवहार करते हैं और हम समसामयिक भू-राजनीतिक जटिलताओं को भी समझते हैं।
अमेरिका में रह रहे और भारत द्वारा घोषित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की योजना बनाने में भारत सरकार के अधिकारियों का हाथ होने के वहां के अधिकारियों के आरोपों के पृष्ठभूमि में भारत अमेरिका संबंधों की स्थिति के बारे में पूछे गए एक सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ये संबंध , “ नयी ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं।”
भारत-अमेरिका संबंधों को गठबंधन जैसा कोई शब्द देने की बात पर श्री मोदी ने कहा, “इस रिश्ते के लिए कोई सबसे उपयुक्त शब्द का काम मैं आप पर छोड़ता हूं।” उन्होंने कहा, “आज भारत और अमेरिका के संबंध पहले से अधिक व्यापक हुए हैं। आपसी समझ बढ़ी है। मित्रता पहले के किसी भी समय से अधिक प्रगाढ़ हैं।”
श्री मोदी ने अमेरिका-चीन के हाल के तनाव पर पूछे गए सवाल को यह कहते हुए टाल दिया कि इस पर दोनों देशों की सरकारें ही कोई उपयुक्त प्रतिक्रिया दे सकती हैं।
इजरायल-हमास लड़ाई के बारे में उन्होंने कहा, “मैं उस क्षेत्र में नेताओं से संपर्क में हूं। यदि भारत वहां शांति बहाली के प्रयासों को बढ़ाने में कुछ कर सकता है तो हम निश्चित रूप से वह करेंगे।”
मनोहर, श्रद्धा उप्रेती