…श्रवण वर्मा से …
नयी दिल्ली, 21 जनवरी (कड़वा सत्य) तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कुछ अन्य दक्षिणी राज्यों में फैले गरीब दलित मडिगा समुदाय के आर्थिक, सामाजिक उन्नयन के लिये कुछ ठोस कदम उठाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वादे को आगे बढ़ाते हुये सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिव स्तरीय अधिकारियों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।
सूत्रों के अनुसार इस उच्च स्तरीय समिति का गठन इसी माह किया गया है। समिति में गृह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, जनजातीय मामले और कानून मंत्रालय के सचिवाें काे शामिल किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि समिति मुख्यत: चमड़े के काम में लगे गरीब मडिगा समुदाय के लोगाें को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ दिलाने के विशेष उपाय करने की सिफारिश करेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवंबर में तेलंगाना विधानसभा के चुनाव के दौरान मडिगा समुदाय की समस्याओं को विशेष रूप से उठाया था और इस समुदाय के साथ उचित न्याय का आश्वासन दिया था।
मडिगा समुदाय अनुसूचित जाति के एक उप समूह के रूप में रखे जाने की मांग लंबे समय से कर रहा है ताकि उसे विशेष रूप से आरक्षण व्यवस्था का लाभ मिल सके।
सूत्रों ने कहा कि आधिकारिक समिति उप वर्गीकरण की मडिगा समुदाय की मांग पर कोई सिफारिश शायद ही कर सके क्योंकि यह विषय उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की एक सात सदस्यीय पीठ को विचार करना है कि क्या अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बीच उप वर्गीकरण की व्यवस्था करना विधि सम्मत है।
भारतीय जनता पार्टी मडिगा समुदाय को लुभाने के लिये इस समुदाय को उप समूह में रखने की उनकी मांग का समर्थन करने का वादा कर रही है। यह समुदाय तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में फैला है।
यदि इस वर्ग को अनुसूचित जाति के उप वर्ग में रखा जाता है तो इस समुदाय के अभ्यर्थियों को अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सीटों के अंतर्गत अति पिछड़े उप समूहों के लिये 15 प्रतिशत आरक्षण का विशेष लाभ मिल सकेगा। उप समूहों को मिलने वाला इस तरह का विशेष लाभ अनूसूचित जातियों की आबादी में उनके अनुपात के अनुरूप दिया जाता है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने यूनी से कहा, “ समिति मडिगा समुदाय के शैक्षिक एवं आर्थिक उत्थान के विषयों को देखेगी और उस पर सरकार को अपनी सिफारिशें देगी। ”
अधिकारी ने कहा कि ‘समिति मडिगा समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्या है, इसका भी अध्ययन करेगी और उसकी रिपोर्ट देगी। ’
मडिगा समुदाय के नेता इस समुदाय को अनुसूचित जातियों के उप समूह में रखने की मांग 1990 के मध्य से ही करते आ रहे हैं। इस मुद्दे पर सबसे पहले 1996 में न्यायमूर्ति पी रामचंद्र राजू की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया था, बाद में 2007 में एक राष्ट्रीय आयाेग ने भी उप समूह के मुद्दे पर गौर किया और दोनों ने इसके लिये कुछ सुझाव रखे थे।
तमिलनाडु, बिहार , पंजाब जैसे कई राज्य हाल के दशकों में अनुसूचित जातियों के अंतर्गत अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का विशेष लाभ देने के लिये उपवर्गीकरण की व्यवस्था लागू कर चुके हैं लेकिन ये मामले अदालत में उलझे हुये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने गत 11 नवंबर को सिकन्दराबाद में चुनावी रैली में मडिगा समुदाय के एक बुजुर्ग मंदा कृष्णा को मंच पर आमंत्रित किया था और उनसे बातचीत की थी। श्री मंदा कृष्णा बातचीत में भावुक हाे गये थे और प्रधानमंत्री ने उन्हें संभाला था। उसी रैली में श्री मोदी ने मडिगा समुदाय की वर्तमान दशा के लिये कांग्रेस और तत्कालीन सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति की आलोचना की थी।
श्रवण . मनोहर