गोरखपुर 21 जनवरी (कड़वा सत्य) अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर सोमवार को भव्य राममंदिर में रामलला के श्यामल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अस्थायी तंबूनुमा मंदिर में दशकों तक रहने के बाद भगवान राम,लक्ष्मण और माता जानकी की पूज्य प्रतिमा का दर्शन पूजन शुरु होगा, इसके साथ ही उन सहस्त्रों रामभक्तों की आत्मायें भी तृप्त हो सकेंगी जिन्होने जन्मभूमि आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।
ऐसे ही रामभक्तों में एक प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु एवं पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ थे जिनकी अंतिम सांस तक हृदय में प्रभु रामलला की मनोहारी छवि और मन मस्तिष्क में रामजन्मभूमि पर रामलला के विराजमान होने का सपना था।
वर्ष 2014 में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ 96 साल के हो चुके थे। उम्रजनित रोगों के कारण उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था। जुलाई में स्थिति गंभीर होने पर योगी ने उनको गुड़गांव के वेदांता में भर्ती कराया था, इस बीच उनको देखने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष डेस्क सिंघल आए । दोनों देर तक एक दूसरे को देखते रहे। अंत में गुरुदेव ने सिर्फ इतना कहा,“ डेस्कजी मैं मंदिर का निर्माण देख नहीं पाऊंगा क्या।”
चूंकि यह बड़े महाराज (प्यार से ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को लोग यही कहते थे) का एक ही सपना था,उनके जीते जी अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण उनके जीववंकाल में हो। लिहाजा जब उम्र साथ छोड़ने लगी तो राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा कोई भी महत्वपूर्ण व्यक्ति उनके पास आता था तो यह सवाल वह उनसे कई बार पूछते थे। तब भी जब वह बढ़ती उम्र की वजह से भूलने लगे थे। क्योंकि यह एक सवाल था, एक ऐसा सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया था कि यह उनके दिलो दिमाग पर अमिट रूप से चस्पा हो गया था।
ऐसा ही एक वाक्या करीब डेढ़ दशक पहले का है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक रहे सुदर्शन जी का गोरखपुर में किसी कार्यक्रम में आना हुआ। उम्रजनित कारणों से महंत अवेद्यनाथ की तबीयत खराब रहती थी। लिहाजा उनका कहीं आना जाना नहीं होता था। ऐसे में उस समय संघ या भाजपा का कोई भी बड़ा पदाधिकारी या नेता गोरखपुर आता था तो बड़े महाराज से मिलने का समय निकाल ही लेता था। इसी क्रम में सुदर्शन जी का गोरखनाथ स्थित मठ में आना हुआ। बातें स्वास्थ्य को लेकर हुई। सुदर्शन जी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य थे। बड़े महाराज तब कुछ भूलने लगे थे। हर दम की तरह उनकी बात के केंद्र में विशाल हिंदू समाज की एकता और अयोध्या में राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण पर केंद्रित रही। इस दौरान उन्होंने कई बार राम मंदिर का जिक्र किया।
यह संस्मरण इस बात का प्रमाण है कि राम मंदिर उनके जीवन भर का वह सपना था जो उनके दिलो दिमाग पर अमिट रूप से चस्पा हो गया था। वह चाह रहे थे कि उनके जीते जी वहां भव्य राम मंदिर बन जाए।
कई पीढ़ियों के संघर्ष के बाद यह काम उनके ही शिष्य मौजूदा गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देख रेख में हो रहा है जिसको देखकर बृम्हलीन महंत अवेद्यनाथ की आत्मा संतृप्त होगी।
प्रदीप