नयी दिल्ली, 16 जुलाई (कड़वा सत्य) केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग् ीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कृषि वैज्ञानिकों से मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और भावी पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिए प्राकृतिक खेती तकनीकों का अभ्यास करने का आग्रह किया।
श्री चौहान ने बेहतर उत्पादन और आय में वृद्धि के लिए छोटे और सीमांत किसानों के लिए मॉडल फार्म शुरू करने के प्रस्ताव पर भी जोर दिया। वह यहां पूसा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 96वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने ‘लैब टू लैंड’ पर भी जोर दिया और कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित कृषि पद्धतियां किसानों को बेहतर फसल पैदा करने और आय को अधिकतम करने में मदद करती हैं।
कार्यक्रम को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ,कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और श्री नाथ ठाकुर तथा मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन तथा आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने संबोधित किया।
आईसीएआर ने 96वें स्थापना दिवस पर दो दिन की प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी लगायी थी। इसका का औपचारिक उद्घाटन कृषि मंत्री ने किया। प्रदर्शनी में आईसीएआर द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। इसमें लगभग 400 आम, 80 केले, 50 शीतोष्ण फल और 120 लघु फलों की किस्में प्रदर्शित की गईं। कृषि विकास में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 40 प्रौद्योगिकियों के डेवलपर्स को सम्मानित किया गया।
श्री चौहान कृषि मंत्री के नाते आईसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने संबोधन में आयात की लागत को कम करने और भारतीय किसानों को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
मंत्री ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने और स्वस्थ वातावरण बनाने में योगदान देने पर जोर दिया। उन्होंने निर्यात को अधिकतम करने और आयात को कम करने के माध्यम से ‘वैश्विक खाद्य टोकरी’ बनने की भारत की क्षमताओं के दोहन पर जोर दिया।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्य पालन और पशु विकास के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा कि भारतीय आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा आजीविका के लिए इस पर निर्भर करता है। श्री सिंह ने बताया कि देश में आईवीएफ वैक्सीन के साथ मिश्रित सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का विकास चल रहा है, जिसका उद्देश्य पशुपालकों के लिए वैक्सीन को और अधिक किफायती बनाना है।
श्री भागीरथ चौधरी ने कृषि तकनीकों की कमियों को दूर करने के लिए शोध आधारित तरीकों की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री नाथ ठाकुर ने उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण खराब हो रही मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने का आग्रह किया।
श्री बघेल ने भूजल स्तर में गिरावट और मवेशियों की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
श्री कुरियन ने कहा कि भारत दुनिया में मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की।
डॉ. पाठक ने 2023-24 के दौरान आईसीएआर के योगदान पर प्रकाश डाला। 2023-24 के दौरान अनाज, तिलहन, चारा फसलों और गन्ने सहित 56 फसलों की कुल 323 किस्में जारी की गईं। आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों के लिए आईएफएस मॉडल विकसित किए गए। उन्होंने पशुधन उत्पादन, मत्स्य पालन, कृषि उपकरण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि विस्तार की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने कृषि शिक्षा, कौशल विकास और आईसीएआर आउटरीच पर भी प्रकाश डाला।
कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अतिरिक्त सचिवने अतिथियों का स्वागत किया और अनुसंधान और शिक्षा में आईसीएआर की भूमिका पर प्रकाश डाला। विभाग की अतिरिक्त सचिव और वित्त सलाहाकर अलका नांगिया अरोड ,आईसीएआर के सहायक महानिदेशक तकनीकी समन्वय अनिल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
कार्यक्रम में भाकृअनुप-संस्थानों के सभी निदेशक एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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कड़वा सत्य