कज़ान (रूस) 23 अक्टूबर (कड़वा सत्य) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स समूह के विस्तार के साथ इसकी आर्थिक शक्ति को रेखांकित करते हुए सदस्यों से देशों के बीच पर्यावरण अनुकूल तकनीक को प्रोत्साहित करने में सहयोग और वित्तीय एकीकरण एवं पारस्परिक व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के प्रयोग की व्यवस्था करके आर्थिक सहयोग को अधिक सुदृढ़ करने पर बल दिया।
श्री मोदी रूस की अध्यक्षता में यहां आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के खुले पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि नए विस्तारित स्वरूप में ब्रिक्स विश्व की 40 प्रतिशत मानवता और लगभग 30 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। पिछले लगभग दो दशकों में, ब्रिक्स ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। हमारा विश्वास है कि आने वाले समय में यह संगठन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक प्रभावी माध्यम बन कर के उभरेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , “मैं न्यू डेवेलपमेंट बैंक (एनडीबी) की अध्यक्षा दिलमा रूसेफ़ का अभिनंदन करता हूँ। पिछले दस वर्षों में, यह बैंक ग्लोबल साउथ (दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देशों) के विकास के लिए महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है। भारत के गिफ्ट सिटी के साथ-साथ, अफ्रीका तथा रूस में क्षेत्रीय केंद्रों के खुलने से इस बैंक की गतिविधियों को बल मिला है और लगभग 35 अरब डॉलर की विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।”
उन्होंने कहा कि एनडीबी को मांग आधारित सिद्धांत पर काम करते रहना चाहिए और, बैंक का विस्तार करते हुए, दीर्घकालिक वित्तीय मजबूती, निष्पक्ष क्रेडिट रेटिंग व्यवस्था और निर्यात बाजार में प्रवेश की आसानी सुनिश्चित करने पर प्राथमिकता रहनी चाहिए।
श्री मोदी ने कहा, “नए स्वरूप में, ब्रिक्स 30,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल और ब्रिक्स वीमेन बिज़नेस अलायन्स की विशेष भूमिका रही है। इस वर्ष, ब्रिक्स के अंदर डब्लूटीओ सुधार, कृषि व्यापार सुविधा, टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला, ई-काॅमर्स और विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र को लेकर जो सहमति बनी है, उससे हमारे आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सब पहलों के बीच समूह को लघु और मध्यम उद्योगों के हितों पर भी फोकस करना चाहिए। उन्होंने इस वर्ष ब्रिक्स स्टार्ट अप्स फोरम इस वर्ष शुरू किए जाने का भी उल्लेख किया जिसका प्रस्ताव 2021 में भारत की अध्यक्षता में किया गया था।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा लिया गया रेलवे रिसर्च नेटवर्क की पहल भी ब्रिक्स देशों के बीच लाॅजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखलाओं की कनेक्टिविटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। इस साल ब्रिक्स देशों में, यूनिडो के साथ मिलकर, इंडस्ट्री 4.0 (डिजिटलीकृत विनिर्माण) के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर बनी सहमति बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि 2022 में पेश किया गया ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र सभी देशों की स्वास्थ्य सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर रहा है। हमें डिजिटल स्वास्थ्य में भारत का सफल अनुभव ब्रिक्स साझीदारों के साथ साझा करने में खुशी होगी। जलवायु परिवर्तन हमारी साझी प्राथमिकता का विषय रहा है।रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स ओपन कार्बन मार्केट साझीदारी (खुले कार्बन क्रेडिट बाजार की साझेदारी) के लिए बनी सहमति का स्वागत है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में भी हरित प्रगति, जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचे और हरित प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाए जाने पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई), मिशन लाइफ यानि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली, एक पेड़ माँ के नाम जैसी पहल शुरू हुई हैं। पिछले वर्ष सीओपी-28 के दौरान हमने ग्रीन क्रेडिट जैसी महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की। मैं ब्रिक्स साझीदारों को इन पहलों से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ।”
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के सभी देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है। भारत में मल्टी माॅडल कनेक्टिविटी को तेजी से बढ़ाने के लिए हमने गति-शक्ति पोर्टल बनाया है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समेकित नियोजन और क्रियान्वयन में मदद मिली है और लाॅजिस्टिक्स लागत कम हुई है। हमारे अनुभव आप सभी के साथ साझा करने में हमें खुशी होगी।
श्री मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण बढ़ाने के लिए प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और सुगम रूप से सीमापार भुगतान प्रणाली से हमारा आर्थिक सहयोग सुदृढ़ होगा। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा बनाया गया यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई भारत की एक बहुत बड़ी कामयाबी है। इसे कई देशों में अपनाया गया है। पिछले वर्ष महामहिम शेख मोहम्मद के साथ मिलकर हमने इसे यूएई में भी लॉन्च किया। अन्य ब्रिक्स देशों के साथ भी इसमें सहयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स के अंतर्गत सहयोग बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हमारी विविधतापूर्ण और बहुपक्षीय व्यवस्था में हमारा दृढ़ विश्वास हमारी ताकत है।हमारी यही ताकत, और मानवता में साझा विश्वास, हमारी भावी पीढ़ी के समृद्ध और सशक्त भविष्य को सार्थक रूप देने में सहयोगी होगा।
ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका- इन पांच संस्थापक सदस्यों के साथ अब मिस्र , इथियोपिया, ईरान , संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा सऊदी अरब को भी इसकी सदस्यता दी गयी है। सऊदी अरब अभी इसमें औपचारिक रूप से शामिल नहीं हुआ है।
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कड़वा सत्य