विएना 10 जुलाई (कड़वा सत्य) भारत एवं ऑस्ट्रिया ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक दिशा प्रदान कर आर्थिक, शैक्षणिक एवं उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने का आज फैसला किया तथा इसके साथ ही दोनों देशों ने यूक्रेन में युद्धवि एवं शांति स्थापित करने के लिए मिल कर काम करने का संकल्प जताया।
विएना की यात्रा पर मंगलवार को यहां पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के बीच यहां चांसलरी भवन में आयोजित द्विपक्षीय शिखर बैठक में दोनों देशों के बीच के रिश्तों में नयी ऊर्जा का संचार हुआ। उल्लेखनीय है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की यात्रा 41 साल बाद हो रही है।
बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, “मेरी यह यात्रा ऐतिहासिक भी है और विशेष भी है। इकतालीस साल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया है। ये भी सुखद संयोग है कि ये यात्रा उस समय हो रही है जब हमारे आपसी संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “लोकतंत्र और कानून का राज जैसे मूल्यों में साझा विश्वास, हमारे संबंधों की मजबूत नींव हैं। आपसी विश्वास और समान हितों से हमारे रिश्तों को बल मिलता है। आज मेरे और चांसलर नेहमर के बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। हमने आपसी सहयोग को और मज़बूत करने के लिए नई संभावनाओं की पहचान की है। हमने निर्णय लिया है कि संबंधों को रणनीतिक दिशा प्रदान की जाएगी। आने वाले दशक के लिए सहयोग का खाका तैयार किया गया है।”
उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक सहयोग और निवेश तक सीमित नहीं है। बुनियादी ढांचे का विकास, नवान्वेषण, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), क्वांटम जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे के सामर्थ्य को जोड़ने का काम किया जायेगा । दोनों देशों की युवा शक्ति और विचारों को कनेक्ट करने के लिए स्टार्ट अप ब्रिज को गति दी जायेगी। आवाजाही और आव्रजन साझीदारी पर पहले से समझौता हुआ है। यह वैधानिक आव्रजन और कुशल श्रमशक्ति की आवाजाही में सहयोग देगा। सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जायेगा।
श्री मोदी रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर स्पष्ट शब्दों में कहा, “ये हॉल, जहाँ हम खड़े हैं, बहुत ही ऐतिहासिक है। 19वीं सदी में यहाँ ऐतिहासिक विएना कांग्रेस का आयोजन किया गया था। उस कांफ्रेंस ने यूरोप में शांति और स्थिरता को दिशा प्रदान की थी। मैंने और चांसलर नेहमर ने विश्व में चल रहे विवादों, चाहे यूक्रेन में संघर्ष हो या पश्चिम एशिया की स्थिति, सभी पर विस्तार में बात की है। मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि में नहीं हो सकता। कहीं भी हो, मासूम लोगों की जान की हानि स्वीकार्य नहीं है। भारत और ऑस्ट्रिया, शांति और स्थिरता की जल्द से जल्द बहाली के लिए संवाद और कूटनीति पर बल देते हैं। इसके लिए हम दोनों मिलकर हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं।”
श्री मोदी ने कहा कि आज मानवता के सामने जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर भी हमने विचार साझा किये। जलवायु के विषय में -अन्तराष्ट्रीय सौर गठजोड़, आपदारोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठजोड़ (सीडीआरआई), बॉयोफ्यूल अलायन्स जैसी हमारी पहलों से जुड़ने के लिए हम ऑस्ट्रिया को आमंत्रित करते हैं। हम दोनों आतंकवाद की कठोर निंदा करते हैं। हम सहमत हैं कि ये किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इसको किसी तरह भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। हम संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार के लिए सहमत हैं ताकि उन्हें समकालीन वास्तविकता और प्रभावी बनाया जाये।
उन्होंने कहा, “आने वाले महीनों में ऑस्ट्रिया में चुनाव होंगे। मैं लोकतंत्र की जननी और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोगों की ओर से चांसलर नेहमर और ऑस्ट्रिया के लोगों को अनेक अनेक शुभकामनायें देता हूँ। कुछ देर बाद हम दोनों देशों के सीईओ से मिलेंगे। मुझे ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति से भी मिलने का सौभाग्य मिलेगा। एक बार फिर मैं चांसलर नेहमर के प्रति उनकी मित्रता के लिए आभार प्रकट करता हूँ और भारत यात्रा करने के लिए मैं आपको निमंत्रित करता हूँ।”
चांसलर श्री नेहमर ने अपने वक्तव्य में आज की बैठक के बारे में कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी और मैं सहमत हैं कि पश्चिम और वैश्विक दक्षिण के देशों को स्विट्जरलैंड में शांति शिखर सम्मेलन में चुने गए रास्ते को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट होना चाहिए। इस संबंध में भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। यूक्रेन में युद्ध समाप्त होना चाहिए। ऑस्ट्रिया हर संभव प्रयास करेगा और संवाद स्थल के रूप में भी काम करने के लिए तैयार है।”
श्री नेहमर ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी और मैं मिलकर भारत और ऑस्ट्रिया के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगे। वियना में आज का बिजनेस फोरम महत्वपूर्ण योगदान देगा और हमारे आर्थिक सहयोग को बढ़ाएगा!
विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में हम ऑस्ट्रियाई और भारतीय तकनीकी विश्वविद्यालयों के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग समझौते के बहुत करीब हैं। इस समझौते के साथ-साथ आगे की साझेदारियां फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, डिजिटल बुनियादी ढांचे और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे सहयोग को काफी बढ़ाएगी। ऑस्ट्रिया इस क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता, जानकारी और नवीन शक्ति लेकर आया है।”
कड़वा सत्य