नयी दिल्ली, 01 अप्रैल (कड़वा सत्य) राष्ट्रीय राजधानी के ललित कला अकादमी में छह से 12 अप्रैल तक ायण पर बिहार के मिथिला क्षेत्र की 37 महिला कलाकारों की प्रदर्शनी का लगायी जायेगी।
यह प्रदर्शनी मिथिला के अलग-अलग क्षेत्रों की 37 महिला कलाकारों द्वारा बनायी गयी 100 दुर्लभ पेटिंग का संकलन है। इस प्रदर्शनी को मधुबनी कला केंद्र की संस्थापक और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार मनीषा झा की ओर से प्रदर्शित की जायेगी।
इन कलाकारों में पदमश्री पुरस्कार विजेता जगदंबा देवी, गोदावरी दत्ता, बउआ देवी, दुलारी देवी के साथ फन में माहिर वरिष्ठ चित्रकारों जैसे विमला दत्ता और गोपाल साहा की पेंटिग्स का प्रदर्शन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी का आयोजन करने का उद्देश्य मिथिला की समृद्ध लोककला की परंपरा को जीवित रखना है।
मिथिला चित्रकला की पौराणिक उत्पत्ति का मूल ायण महाकाव्य के बालकांड में देखा जा सकता है, जिसमें महाराजा जनक का जिक्र किया गया है। महाकाव्य ायण के बाल कांड में यह वर्णन किया गया है कि महाराजा जनक ने राजकुमारी सीता के विवाह के दौरान अपने सभी नगरिकों को इन पेंटिंग को दीवार पर सजाने के आदेश दिए थे।
ायण महाकाव्य में उर्मिला, अहिल्या, सुमित्रा, कैकेयी, शबरी, शूपर्णखा, मंदोदरी, तारा, त्रिजटा सुलोचना (इंद्रजीत की पत्नी), रूमा (सुग्रीव की पत्नी) और शांता (भगवान की बड़ी बहन) सहित कई अन्य महिलाओं ने अपनी-अपनी भूमिका निभायी है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शकों को उनके सूक्ष्म नजरिए और मानव जीवन की गहरी समझ देखने को मिलेगी।
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कड़वा सत्य