नयी दिल्ली 09 जनवरी (कड़वा सत्य) रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय रेलवे के ढांचागत विकास की गति को बढ़ाने के उद्देश्य से अपने निर्माण संबंधी प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार करके नयी ‘भारतीय रेलवे निर्माण संहिता’ आज जारी की।
श्री वैष्णव ने रेल भवन में एक संक्षिप्त समारोह में रेलवे बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में संहिता को जारी किया। रेल मंत्री ने इस अवसर पर अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है, प्रधानमंत्री ने रेलवे पर फोकस रखा है। रेलवे के कायाकल्प और निर्माण को गति देने के लिए वर्ष 1950, 1960, 1970 के दशक के ‘वर्क मैनुअल’ में नये समय के हिसाब से प्रक्रियाओं को सुधारा गया है और इससे ढांचागत विकास की गति काफी तेज होगी।
उन्होंने कहा कि बीते साल रेलवे ने निर्माण की गति के मामले में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। औसतन प्रतिदिन 14 किलोमीटर रेललाइन बिछाने वाली रेलवे ने वर्ष 2023 में 16 किलोमीटर प्रतिदिन के औसत से अधिक नयी लाइन बिछायी है।
उन्होंने कहा कि नयी निर्माण संहिता में पुलों, सुरंगों, आरओबी, आरयूबी आदि निर्माण के लिए आसान प्रक्रियाएं वर्णित की गयीं हैं। वन क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र से गुजरने वाली लाइनों के लिए आवश्यक स्वीकृतियां हासिल करने में भी बहुत कम समय लगेगा। इससे परियोजनाओं की लागत भी घटेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रतिदिन रेललाइन निर्माण की गति में भारत नये कीर्तिमान कायम करेगा और दुनिया के कई बड़े देशों को पीछे छोड़ देगा।
रेल मंत्री ने 584 पृष्ठों और 18 अध्याय वाली नयी निर्माण संहिता को मंजूरी दिलाने में रेलवे बोर्ड से हाल में सेवानिवृत्त हुए सदस्य (बुनियादी ढांचा) आर एस सुनकर के योगदान की विशेष रूप से सराहना की। इस मौके पर वीडियो लिंक के माध्यम से सभी ज़ोन एवं निर्माण इकाइयों के महाप्रबंधक एवं मंडल रेल प्रबंधक जुड़े हुए थे।
बाद में श्री सुनकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारतीय रेलवे निर्माण संहिता में भू अधिग्रहण, वन स्वीकृति, रक्षा स्वीकृति, डिज़ायन, अनुबंधन, सिगनलिंग, यार्ड रिमॉडलिंग, ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर, पुल, सुरंग आदि के निर्माण की नयी प्रक्रियाएं निर्धारित की गयीं हैं। उन्होंने कहा कि ज़मीनी स्तर पर इन क्षेत्रों में आने वाली हर समस्या को जानने समझने के बाद उन्हें दूर किया गया है।
उन्होंने कहा कि नये नियमों के तहत किसी नयी लाइन की परियोजना में लाइन का मानचित्र में संरेखण होने के साथ ही उसके मार्ग में आने वाली ज़मीन स्वत: ही परियोजना में आ जाएगी और रेलवे उक्त ज़मीन के मालिक को समुचित मुआवज़ा प्रदान करेगी। इसी प्रकार वन क्षेत्र एवं रक्षा क्षेत्र से गुज़रने वाली परियोजनाओं के लिए स्वीकृतियां तुरंत हासिल हाे पाएंगी। इसके अलावा भी काम को तेज करने के तौर तरीकों को इसमें शामिल किया गया है।
सचिन