जोधपुर 27 जुलाई (कड़वा सत्य) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आम जनता को सुलभ, सस्ता और त्वरित न्याय दिलाने में न्यायालयों की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए कहा है कि लंबित मुकदमों के समाधान के लिए नवाचार और नवीन तकनीकी का अधिकतम उपयोग आवश्यक है।
श्री बिरला शनिवार को यहां राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने देश को कई अत्यंत विशिष्ट न्यायाधीश और प्रख्यात अधिवक्ता दिए हैं जिन्होंने कानून और न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक यात्रा में न्यायालय के निर्णयों ने राजस्थान सहित देश के सभी लोगों के हितों को सुरक्षित और सशक्त किया है। श्री बिरला ने सशक्त न्याय व्यवस्था को विकसित भारत के संकल्प का मूल आधार बताते हुए कहा कि इस दिशा में सरकार और न्यायपालिका दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है ।आम जनता के लिए सुलभ, सस्ता और त्वरित न्याय की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में न्यायालयों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक बोझ कम करने के लिए कई वैधानिक परिवर्तन किए हैं। श्री बिरला ने व्यक्त की कि न्यायपालिका भी इस दिशा में बराबर की भूमिका निभाएगी। उन्होंने न्यायालयों में लंबित मुकदमों के निपटान और न्याय व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए नवाचार और नई तकनीकी के अधिकतम उपयोग पर बल दिया। उन्होंने व्यक्त की कि राजस्थान उच्च न्यायालय में हो रहे नवाचारों से देशभर में न्यायिक उपक्रमों को प्रेरणा और दिशा मिलेगी।
श्री बिरला ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र शासन के सभी अंगों के सामूहिक प्रयासों से 75 वर्षों की यात्रा में सशक्त हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान निर्माताओं ने संविधान के तीनों अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच दायित्वों और कार्यों का बंटवारा किया है ताकि तीनो अंग साथ-साथ चलते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करें। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, तीनो अंगों द्वारा प्रौद्योगिकी के उपयोग से जनता के जीवन को सहज, सरल और सुगम बनाया जा सकता है ।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि इस महायज्ञ में देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक संस्था को अपना सम्पूर्ण योगदान देना होगा। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में उनकी विशेष भूमिका रहेगी।
उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि पिछले एक दशक में सरकार ने ‘इज ऑफ लिविंग’ के लिए अनगिनत कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनमानस के जीवन को आसान, सरल और सुगम बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास हुए हैं। उन्होंने इज ऑफ जस्टिस को इसी दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास बताया और कहा कि इस दिशा में न्यायपालिका की बड़ी भूमिका है। प्रभावी न्याय प्रणाली को विकसित भारत के संकल्प का एक महत्वपूर्ण अंग बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि सरल, सुलभ और त्वरित न्याय इसके तीन प्रमुख स्तंभ है और सभी हितधारकों को इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभानी पड़ेगी।
श्री बिरला ने संसद द्वारा पुराने कानूनों के स्थान पर पारित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, न्याय संहिता और साक्ष्य अधिनियम को देश की न्याय व्यवस्था का नया युग बताया। उन्होंने न्यायालयों और अधिवक्ताओं को इन तीनों नए कानूनों में अध्ययन और इनका अधिकतम लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास पर बल दिया। समानता, न्याय और स्वतंत्रता को देश के संविधान की मूल भावना बताते हुए उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की न्यायपालिका ने इन मूल सिद्धांतों के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य किया है।
लोकतंत्र के सशक्तिकरण और जन विश्वास बढ़ाने में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मूल अधिकारों के संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
निष्पक्ष चुनाव आयोग पर जनता का भरोसा और चुनाव में लोगों की भागीदारी को भारतीय लोकतंत्र की बड़ी ताकत बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि लोकसभा चुनाव में 65 करोड़ लोगों ने भाग लिया, जिससे सम्पूर्ण विश्व अचंभित। उन्होंने इसे दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक बताया।
जोरा
कड़वा सत्य