नयी दिल्ली 06 जून (कड़वा सत्य) केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने गुरूवार को कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लू और गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहने की जरूरत है जिससे कि जान-माल का नुकसान न हो और क्षति को कम से कम किया जा सके।
श्री गौबा ने लू और जंगल की आग से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) की एक बैठक की यहां अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रालय और विभाग इस संबंध में हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार हैं।
बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश भर में लू और जंगल की आग से संबंधित घटनाओं की मौजूदा स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी, जिसमें उनसे निपटने के लिए उठाए जा रहे कदम भी शामिल थे।
मौसम विभाग ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में लू के सामान्य से अधिक तीव्रता के 10 से 22 दिन देखे गए। यह भी बताया गया कि जून महीने के पूर्वानुमान के अनुसार, सामान्य से अधिक लू वाले दिन हैं। उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों और उत्तर मध्य भारत के क्षेत्रों में इसकी संभावना है। इस साल देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून सामान्य और सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान है। मौसम विभाग लू के संबंध में नियमित अलर्ट भेज रहा है।
एनडीएमए ने बताया कि केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों द्वारा लगातार तैयारी बैठकें की गई है। राज्यों को नियंत्रण कक्ष सक्रिय करने, लू के लिए मानक प्रक्रिया लागू करने, पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने, आवश्यक दवाओं और ओआरएस की उपलब्धता सहित स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारी और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सलाह जारी की गई है। राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे नियमित रूप से स्कूलों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों की अग्नि सुरक्षा जांच करें और आग की घटनाओं पर कम से कम समय में त्वरित कार्रवाई करें। राज्य सरकारों ने बताया कि संबंधित विभागों और जिला कलेक्टरों के साथ स्थिति की बारीकी से समीक्षा और निगरानी की जा रही है।
कैबिनेट सचिव ने मुख्य सचिवों से लू से निपटने के लिए तैयारियों को बढ़ाने के लिए अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों की नियमित समीक्षा और निगरानी करने का अनुरोध किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जल आपूर्ति के स्रोतों को बनाए रखने और बढ़ाने के प्रयासों को तेज किया जाना चाहिए और सभी संस्थानों की अग्नि सुरक्षा जांच नियमित रूप से सुनिश्चित की जानी चाहिए।
वनाग्नि के प्रबंधन के बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक प्रस्तुति दी, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में जंगल की आग से निपटने के लिए कार्य योजना और तैयारियों की रूपरेखा दी गई। बताया गया कि मोबाइल एसएमएस और ईमेल के माध्यम से नियमित चेतावनी प्रसारित की जा रही है। राज्यों और अन्य एजेंसियों की सहायता के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा वन अग्नि चेतावनी प्रणाली पोर्टल भी विकसित किया गया है, जिसका नाम वनाग्नि है, जो आग लगने से पहले और वास्तविक समय में जंगल की आग की चेतावनी प्रदान करता है।
कैबिनेट सचिव ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लू और जंगल की आग से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहने की जरूरत है ताकि जान-माल का कोई नुकसान न हो और क्षति को कम से कम किया जा सके। उन्होंने एनडीएमए और वन मंत्रालय द्वारा बताये गये प्रारंभिक उपायों के महत्व पर जोर दिया।
कैबिनेट सचिव ने राज्यों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रालय और विभाग अधिकतम तैयारी सुनिश्चित करने और समय पर शमन और जरूरी उपायों को लागू करने के लिए उनके साथ निकटता से जुड़े हुए हैं।
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