नयी दिल्ली, 27 फरवरी (कड़वा सत्य) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में भारतीय उद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण है। स्वतंत्रता संग्राम में औपनिवेशिक दबाव के बावजूद उद्योग ने क्षमता का निर्माण किया। अब समय आ गया है कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के साथ आर्थिक आजादी हासिल करें और उद्योग जगत इसमें अपनी भूमिका निभाए।
श्रीमती सीतारमण ने यहां फिक्की द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘फिक्की विकसित भारत 2047’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधान मंत्री का स्पष्ट संकेत है कि भावी पीढ़ियों को एक बेहतर भारत प्रदान करने के लिए विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। उन्होंने उद्योग जगत को यह भी आश्वासन दिया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए सुधार आगे भी जारी रहेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां सरकार नए नवाचारों, निवेशों और नीतिगत सुधारों पर अधिक जोर देगी। इनमें ईवी, अंतरिक्ष, एआई, वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स, कृषि मूल्यवर्धन और कृषि दक्षता, पर्यटन, हरित हाइड्रोजन शामिल हैं। उन्होंने कहा “भारत की लॉजिस्टिक क्षमता को अभी छुआ तक नहीं गया है; हमारे पास इसमें अपार संभावनाएं हैं।”
श्रीमती सीतारमण ने डिजिटल बुनियादी ढांचे की क्षमता पर भी प्रकाश डाला जो भारत को विकसित भारत हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा “ उत्पादन के अन्य कारकों के अलावा, 21वीं सदी एक और कारक लेकर आई है – डिजिटल बुनियादी ढांचा।” वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय बढ़ाकर अपनी प्रतिबद्धता दिखा रही है और उद्योग से विस्तार करने और दुनिया भर में अधिक से अधिक संयुक्त उद्यमों की तलाश करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा “भारतीय उद्योग अब निश्चित रूप से बड़ी तेजी से आगे बढ़ सकता है। हम भारत के इतिहास के उस मोड़ पर हैं जहां सभी अवसर हैं और हमें इसे हासिल है।”
शेखर