नयी दिल्ली, 27 जनवरी (कड़वा सत्य) केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने शनिवार को जनजातीय विद्यार्थियों से कहा कि वे भविष्य के नेता हैं जो अमृत काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिये देश के भाग्य को आकार देंगे।
ये जनजातीय विद्यार्थी देश के विभिन्न क्षेत्रों से गणतंत्र दिवस परेड देखने आये थे। श्री मुंडा शनिवार को नयी दिल्ली स्थित अपने निवास पर इन 550 से अधिक विद्यार्थियों से मिले।
नौवीं और दसवीं कक्षा के ये छात्र मंत्रालय द्वारा दी जा रही मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजना
के लाभार्थी हैं।
इस अवसर पर श्री मुंडा ने राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह व्यक्तिगत रूप से देखने के लिये जनजातीय बच्चों को आमंत्रित करने पर श्री मोदी को धन्यवाद दिया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए श्री मुंडा ने विभिन्न राज्यों से दिल्ली में एकत्रित छात्रों के बीच की विविधता को देखते हुये सभा को ‘लघु भारत’ कहा। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
श्री मुंडा ने विद्यार्थियों को अपने भविष्य को आकार देने में मंत्रालय की छात्रवृत्ति का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा, “आप भविष्य के नेता हैं और अमृत काल में प्रधानमंत्री के विकसित भारत को प्राप्त करने के लिये हमारे देश की नियति को आकार देंगे। ”
उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है, जब उसके युवा ईमानदार और शिक्षित हों। शिक्षा सफलता की कुंजी है क्योंकि यह कई अवसरों के द्वार खोलती है। उन्होंने छात्रों से संकल्प लेने को कहा कि उन्हें जो अवसर मिला है, उसका लाभ वे देश को वापस देंगे।
श्री मुंडा ने कहा, “ आपको ज्ञान की निरंतर खोज से अपने व्यक्तित्व का विकास करना जारी रखना चाहिये क्योंकि आपकी सफलता देश की सफलता है। ”
इस अवसर पर जनजातीय मामलों के सचिव विभु नायर ने विद्यार्थियाें के साथ बातचीत की और उनसे राष्ट्रीय राजधानी की उनकी पहली यात्रा के दौरान के अनुभवों के बारे में पूछा। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने अनुभवों, सीखों और प्रेरणाओं को अपने साथी छात्रों के साथ साझा करने और उन्हें उन विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिये प्रोत्साहित किया, जिन्हें केन्द्र सरकार आदिवासियों, विशेष रूप से युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए लागू कर रही है।
श्रवण