ऐजॉल, 05 जनवरी (कड़वा सत्य) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को आश्वासन दिया कि राज्य में शरण लिए हुए म्यांमार के शरणार्थियों को तब तक वापस नहीं भेजा जाएगा, जब तक पड़ोसी मुल्क में शांति बहाल नहीं हो जाती।
श्री शाह ने ये बातें गुरुवार अपराह्न नयी दिल्ली स्थित उनके (श्री शाह) कार्यालय में श्री लालदुहोमा से मुलाकात के दौरान कहीं। उन्होंने मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के 31,873 शरणार्थियों को वापस नहीं भेजने की केंद्र की मंशा मुख्यमंत्री के सामने व्यक्त की।
श्री शाह ने श्री लालडुहोमा से कहा, “मैं चाहता हूं कि मिजोरम के लोग जानें कि जब तक म्यांमार में शांति बहाल नहीं हो जाती, तब तक शरणार्थियों को निर्वासित नहीं किया जाएगा।” उन्होंने बताया कि केंद्र की मौजूदा सरकार की नीति देश में रहने वाले सभी विदेशियों की उंगलियों के निशान लेने और उन्हें रिकॉर्ड करने की है।
उल्लेखनीय है कि पिछली मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार ने पिछले साल म्यांमार शरणार्थियों से जीवनी और बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने के केंद्र सरकार के निर्देश को ठुकरा दिया था।
दोनों नेताओं ने 2019 में राज्य विधानमंडल द्वारा पारित मिजोरम घरेलू पंजीकरण विधेयक के बारे में चर्चा की, जिसे अभी तक भारत के राष्ट्रपति द्वारा सहमति नहीं दी गई है। श्री शाह ने श्री लालडुहोमा से विधेयक को फिर से प्रस्तुत करने से पहले इसमें कुछ संशोधन करने के लिए कहा।
श्री लालडुहोमा ने बाद में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और उन्हें मिजोरम से म्यांमार के शरणार्थियों को निर्वासित नहीं करने के केंद्रीय गृह मंत्री के आश्वासन के बारे में बताया।
एमएनएफ सरकार ने 2021 की शुरुआत में म्यांमार के शरणार्थियों को वापस भेजने के केंद्र के निर्देशों को खारिज कर दिया था, जो 01 फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद अपने देश से भाग गए थे। म्यांमार में नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू करने वाले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर क्रूर सैन्य कार्रवाई शुरू हो गई थी।
राज्य सरकार ने म्यांमार के शरणार्थियों को सरकार, नागरिक समाजों, चर्चों और व्यक्तियों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखा।
संतोष डेस्क