नयी दिल्ली 11 फरवरी (कड़वा सत्य) हिंदी की वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया ने कहा है कि यशस्वी लेखिका शिवानी ने अपनी कृतियों से असंख्य पाठक बनाये जबकि आज साहित्य में इतने उत्सव होने के बाद भी पाठकों के लाले पड़े हुए है।
श्रीमती कालिया ने शनिवार को यहां शिवानी जन्मशती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सुश्री शिवानी की रचनाओं के छपने से धर्मयुग और साप्ताहिक हिंदुस्तान के पाठकों की संख्या बढ़ जाती थी। धर्मवीर भारती और मनोहर श्याम जोशी जब अपनी पत्रिका की प्रसार संख्या को कम होते देखते तो वे शिवानी का उपन्यास छाप देते थे फिर उनकी पत्रिकाओं की प्रसार संख्या बढ़ जाती है। सच पूछा जाए तो वह स्त्री लेखन की “मां” थी।
समारोह में नासिरा शर्मा, शिवानी की पुत्री और अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखिका इरा पांडे, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर डॉ सुधा सिंह और सुदीप्ति ने भी सुश्री शिवानी के बारे में विस्तार से अपने विचार व्यक्त किये।
समारोह का उद्घाटन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक केंद्र के एन श्रीवास्तव ने किया। समारोह में पहले सविता देवी की शिष्या मीनाक्षी प्रसाद का गायन हुआ और उसके बाद संगोष्ठी की शुरुआत हुई।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में नासिरा शर्मा ने उद्घाटन वक्तव्य दिया और अपने संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि किस तरह जब वह नई लेखिका थी तो उन्होंने सुश्री शिवानी का आकाशवाणी के लिए इंटरव्यू लिया था। उस इंटरव्यू को स्त्री दर्पण ने भी अपने पेज पर लगाया है।
उन्होंने इलाहाबाद में अपने छात्र दिनों का जिक्र करते हुए बताया कि वह बचपन से शिवानी को रचनाओं से जानती थी। उन्होंने शिवानी के रति विलाप जैसी यादगार रचनाओं का भी जिक्र और उनके उपन्यास और कहानियां के पात्र उनके भीतर घर कर गये थे।
उन्होंने कहा कि साहित्य की सियासत ने सुश्री शिवानी को जगह नहीं दी और सियासत आज भी है पर पाठकों के दिल मे वह आज भी बसती हैं।
प्रोफेसर सुधा सिंह ने शिवानी के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि शिवानी से तो वह मिली नहीं लेकिन उन्होंने उस शांतिनिकेतन में पढ़ाया जहां शिवानी कभी पढ़ती थी। उन्होंने कहा कि शिवानी को लोकप्रिय लेखिका कहकर खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि तुलसी प्रेमचन्द आदि भी अपने समय के लोकप्रिय लेखक थे। लोकप्रिय और श्रेष्ठता में एक संबंध भी है। शिवानी ने महत्वपूर्ण साहित्य रचा और वह महत्वपूर्ण लेखिका थी।
श्रीमती इरा पांडेय ने अपनी मां को शिद्दत से याद करते हुए कहा कि हमलोग उन्हें ‘दिद्दु’ कहकर पुकारते थे। उन्होंने अपनी माँ के कई रोचक किस्से भी सुनाए।
समारोह में मृदुला गर्ग , नीता गुप्ता , कल्पना ,मनोरमा , नलिनी , कमलिनी , रवींद्र मिश्र , मंजरी चतुर्वेदी , मनोज मोहन , सुरेश नौटियाल , वीरेन नंदा मेधा समेत अनेक लोग मौजूद थे।
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