जयपुर 03 मार्च (कड़वा सत्य) बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी एवं उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने सन्तों को नदी पेड़ के समान परोपकारी, परमार्थी, नि:स्वार्थ, सज्जन एवं उदार बताते हुए कहा है कि समाज सुधार के लिए इनके आदर्शों पर चलने की जरुरत हैं।
उमाकांत महाराज रविवार को यहां आयोजित अपनी सत्संग में भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने शाकाहारी बनने का आह्वान करते हुए कहा कि परमार्थ में स्वार्थ नहीं होता है। परमार्थी यह पेड़ नदी होते हैं। खुद अपना फल, पानी नहीं खाते-पीते। उन्होंने कहा कि ऐसे ही सन्त होते हैं और आज समाज सुधार के लिए इन संतों के आदर्शों पर चलकर परोपकारी होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कई लोग सत्संग में परिवार के अन्य लोगों को नहीं ला पाते है, ऐसे में वे उसी गृहस्थी दुनियादारी में लगे रह जाते हैं, उसी माहौल में फंसे रह जाते हैं। ऐसे में सत्संग से जुड़ने एवं अच्छे माहौल बनाये जाने की जरुरत हैं।उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं कि कई लोग जो नशे में चूर रहते थे, जो खाने-पीने, मौज-मस्ती को ही अपना जीवन बना लिए थे, उनके सत्संग से जुड़ने के बाद उनके अंदर भी भाव-भक्ति, सेवा भाव आ गया और वे सुमिरन ध्यान भजन करने लग गए। उन्होंने कहा कि शाकाहारी बनना चाहिए ताकि व्यक्ति के अंदर मानवता, दया धर्म आ जाए।
राजस्थान प्रांत के जि़म्मेदार वैध रामकरण शर्मा ने बताया कि इस दो दिवसीय सत्संग और नामदान कार्यक्रम में राजस्थान के सभी जिलों जिम्मेदार, सेवादार एवं हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
जोरा