नयी दिल्ली 05 अप्रैल (कड़वा सत्य) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि समानता पर भारत को किसी से उपदेश लेने की आश्वयकता नहीं है और नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से पीड़ित अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए हैं।
श्री धनखड़ ने शुक्रवार को उत्तराखंड के मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में वर्ष 2023 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रशिक्षुओं अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को समानता के मुद्दे पर किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है। उन्होेंने विभिन्न देशों से अपने भीतर झाँकने का आह्वान करते हुए कहा कि कुछ देशों में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं है, जबकि भारत में ब्रिटेन से भी पहले एक महिला प्रधानमंत्री बन चुकी है। अन्य देशों में “सुप्रीम कोर्ट” ने बिना महिला न्यायाधीश के 200 साल पूरे कर लिए, लेकिन भारत में बहुत पहले महिला न्यायाधीश हो चुकी है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर श्री धनखड़ ने कहा कि सीएए न तो किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित करता है, न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। सीएए पड़ोसी देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की सुविधा प्रदान करता है। उन्हाेंने कहा कि सीएए उन लोगों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। उन्होंने कहा कि यह किसी के लिए आमंत्रण नहीं है।
उन्होंने कहा कि शायद ही कोई सप्ताह गुजरता है जब भारतीय नौसेना ने समुद्री डकैती के पीड़ितों को बचाने के लिए काम नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को उनकी उपलब्धि पर गर्व होगा।
श्री धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ नहीं हो सकता कि एक जागरूक दिमाग लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाने के लिए गलत बयान दे। उपराष्ट्रपति ने ऐसे लोगों को बेनकाब करने का आह्वान किया।
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