नयी दिल्ली, 14 सितंबर (कड़वा सत्य) सरकार ने विदेशों से मंगाये जाने वाले कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी है, जिससे सस्ते तेलों के आयात पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
भारत के राजपत्र में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार कच्चे पाम ऑयल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे मुखी तेल पर मूल्य सीमा शुल्क (बीसीडी) की दर शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गयी है।
इसी तरह रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड मुखी तेल पर आयात शुल्क की दर 12.5 प्रतिशत से बढ़कर 32.5 प्रतिशत हो गयी है।
शुल्क की दरों में इन संशोधन से इन कच्चे खाद्य तेलों पर प्रभावी आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 27.5 प्रतिशत और इनके रिफाइंड माल पर शुल्क की प्रभावी दर 13.75 प्रतिशत से बढ़कर 35.75 प्रतिशत हो जायेगी।
खाद्य तेलों पर बीसीडी की नयी दरें आज से प्रभावी हो गयी हैं।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार ने बासमती और प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त समाप्त की है ताकि इनका निर्यात बढ़े। इसी तरह खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से इनका आयात कम होगा और भारतीय किसानों को उत्पादन और बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इन फैसलों से उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।
तेल उद्योग का कहना है कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से तेल की खुदरा कीमतों में कोई विशेष वृद्धि होने की संभावना नहीं है।
तेल प्रसंस्करण एवं थोक कारोबार करने वाले एक व्यापारी ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, “वास्तव में मूंगफली तेल के भाव दो-तीन रुपये टूटे हैं। राजकोट में मूंगफली की नयी फसल की आवक थोड़ा-थोड़ा शुरू हो गयी है। वहां पिछले हफ्ते मूंगफली तेल का भाव 15500 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया था जो 15000 रुपये पर आ गया है।”
तेल उद्योग के अनुसार भारत सालाना 1.63 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जिसमें 95 से 100 लाख टन पाम आयल, 30 से 35 लाख टन सोयाबीन और करीब इतनी ही मात्रा में मुखी तेल का आयात होता है।
उद्योग के अनुसार सस्ते तेल के आयात के कारण थोक मंडियों में सोयाबीन और मुखी के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे चल रहे हैं।
.श्रवण
कड़वा सत्य