नयी दिल्ली,11 मई (कड़वा सत्य) पंजाबी के प्रख्यात कवि, गद्यकार, अनुवादक और शिक्षाविद् सुरजीत पातर के निधन पर साहित्य अकादमी ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
श्री पातर का आज सुबह निधन हो गया।
साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने एक शोक संदेश में कहा कि 79 वर्ष के जीवनकाल में उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से पंजाबी भाषा और साहित्य को देश-विदेश में प्रतिष्ठा दिलाई। उनका पहला काव्य-संग्रह ‘कोलाज’ था और पहला गजल संग्रह 1978 में ‘हवा विच लिखे हरफ’ के नाम से प्रकाशित हुआ। उनकी कविता और गद्य की 10 से अधिक किताबें प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने आठ विश्व प्रसिद्ध काव्य-नाटकों का पंजाबी में रूपांतरण किया। उन्होंने दूरदर्शन पर ‘ दा सनमाना के तहत कविता के इतिहास पर काव्य-धारावाहिक के 30 कड़ी बनायी। वह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय , लुधियाना में पंजाबी भाषा के प्रोफेसर रह चुके थे।
पद्मश्री से सम्मानित पातर पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना और पंजाब आर्ट्स काउंसिल, चंडीगढ़ के अध्यक्ष थे। अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से अलंकृत श्री पातर को ‘हनेरे विच सुलगदी वर्णमाला’ कविता-संग्रह के लिए वर्ष 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
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