चेन्नई, 01 मई (कड़वा सत्य) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को ऐप-आधारित कथित धोखाधड़ी वाली निवेश योजना से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान देश के 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 30 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे।
इस दौरान सीबीआई को लैपटॉप, मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, सिम कार्ड, डेबिट कार्ड और अन्य अहम चीजें ब द हुईं।मामले में सीबीआई ने बताया कि एचपीजेड टोकन ऐप से जुड़ी निवेश योजना के मामले में कथित धोखाधड़ी के मामले में मिली शिकायत पर उसने मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने बताया कि यह मुकदमा दो प्राइवेट कंपनियों और उनके निदेशकों तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया गया। मुकदमा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 419,420 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 डी के तहत दर्ज किया गया। आरोप है कि शिगू टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लिलियन टेक्नोकैब प्राइवेट लिमिटेड – अपने निदेशकों के साथ एचपीजेड टोकन ऐप से संबंधित धोखाधड़ी वाली निवेश योजना में आरोपी संलिप्त थे।
इस योजना में जनता को गैर-मौजूद क्रिप्टो-मुद्रा माइनिंग मशीन किराये में निवेश करने के लिए गुमराह करना शामिल था। एचपीजेड एक ऐप-आधारित टोकन है जो उपयोगकर्ताओं को बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी के लिए माइनिंग मशीनों में निवेश करके बड़े लाभ का झांसा देते हैं।
इसके तहत सीबीआई ने दिल्ली-एनसीआर, जोधपुर, बेंगलुरु, मुंबई, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार और मध्य प्रदेश में 30 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान टीम को बड़ी संख्या में ईमेल अकाउंट के बारे में भी जानकारी मिली। सीबीआई का आरोप है कि एचपीजेड एक ऐप आधारित टोकन है। जो लोगों को बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी के लिए माइनिंग मशीन में निवेश करने में बड़ा फायदा होने का दावा करता है।
सीबीआई ने बताया कि जालसाजों ने कथित तौर पर एक कार्यप्रणाली का इस्तेमाल किया जो पीड़ितों को बिटकॉइन खनन में उनके निवेश पर भारी लाभ मिलने के बहाने एचपीजेड टोकन ऐप में निवेश करने के लिए लुभाता था।
सीबीआई की अभी तक की जांच से पता चला है कि आरोपियों से संबंधित लगभग 150 बैंक खातों का इस्तेमाल निवेशकों से धन इकट्ठा करने के लिए किया गया था। इन फंडों का उपयोग शुरू में निवेशकों को विश्वास में लेने के लिए भुगतान करने के लिए किया जाता था, फिर अवैध रूप से देश से बाहर स्थानांतरित किया जाता था। अक्सर इन फंड को क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम में परिवर्तित किया जाता था या फिर हवाला लेनदेन के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता था।
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कड़वा सत्य