नयी दिल्ली, 04 सितंबर (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने उस फैसले को टालने पर सहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि सुनवाई के दौरान अदालत में शारीरिक रूप से या ऑनलाइन मौजूद रहने वाले अधिवक्ता ही अदालत के रिकॉर्ड में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल के विशेष उल्लेख कर मुद्दे को सुलझाने के गुहार पर 29 अगस्त को पारित अपने आदेश को टालने पर सहमति जताई। पीठ ने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।