नयी दिल्ली/बेंगलुरु 11 जनवरी (कड़वा सत्य) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रमाणिक और व्यावहारिक शोध का आह्वान करते हुए कहा है कि स्वदेशीकरण का मतलब ‘नट- बोल्ट’ तक ही सीमित नहीं है।
श्री धनखड़ ने शनिवार को कर्नाटक के बेंगलुरु में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अनुसंधान एवं विकास पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे प्रमाणिक और व्यावहारिक अनुसंधान होने चाहिए जो जमीनी हकीकत को बदलने में सक्षम हो।उन्होंने कहा कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देश का पेटेंट योगदान बहुत कम है। उन्होंने कहा,“जब शोध की बात आती है, तो शोध प्रमाणिक होना चाहिए। शोध अत्याधुनिक होना चाहिए। शोध व्यावहारिक होना चाहिए। शोध से जमीनी हकीकत बदलनी चाहिए। वास्तविकता से परे शोध करने का कोई फायदा नहीं है। आपका शोध उस बदलाव से मेल खाना चाहिए जिसे आप लाना चाहते हैं।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि केवल प्रमाणिक शोध को ही शोध माना जाना चाहिए। इसके लिए कड़े मानक होने चाहिए।
श्री धनखड़ ने कहा कि हम वैश्विक समुदाय में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में तभी उभर सकते हैं जब हम अनुसंधान और विकास पर जोर देंगे। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा इसी पर आधारित है। आत्मनिर्भरता तभी आएगी और तभी आएगी जब दुनिया हमें अनुसंधान और विकास के एक केंद्र के रूप में देखेगी।
उन्होंने कहा,“हमारे पास स्वदेशीकरण वाले उपकरण तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन देखिए, क्या हमारे पास इंजन हैं? क्या हमारे पास मुख्य सामग्री है? क्या हमारे पास वह है जो दूसरे हमसे देखना चाहते हैं? या हम इसे सामान्य पहलुओं तक ही सीमित रख रहे हैं? जब नट और बोल्ट की बात आती है तो इस बात से संतुष्ट होने का कोई मतलब नहीं है कि हम स्वदेशी हैं। हमारा लक्ष्य प्रतिशत प्रतिशत होना चाहिए।”
स्कूलों और कॉलेजों में नवाचार की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि देश में प्रतिभाओं की भरमार है। हमारे युवा लड़के और लड़कियाँ अवसरों की विस्तृत श्रृंखला के बारे में नहीं जानते हैं। वे सरकारी नौकरियों के लिए लंबी कतारों में लगे रहते हैं।
सत्या.
कड़वा सत्य