नयी दिल्ली,01 अक्टूबर (कड़वा सत्य) वृद्धों के कल्याण की गैर सरकारी संस्था ‘हेल्पऐज इंडिया’ ने पद्म भूषण से सम्मनित प्रसिद्ध अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को अपना मानद ब्रांड एम्बेसडर बनाया है।
अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर मंगलवार को आयोजित एक समारोह में हेल्पऐज इंडिया ने श्रीमती टैगोर को अपना मानद ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया। इसके साथ ही, समावेशी समाज के लिए देशव्यापी अभियान “ जेनेरेशन टूगेदर ” तथा स्कूली बच्चों और युवाओं के ‘यंग चैंपियंस फॉर द एल्डर कॉज’ की शुरुआत की गयी। इनका उद्देश्य विभिन्न पीढ़ियों के संबंधों को मजबूत करना और उम्र के संदर्भ में एक समावेशी समाज का विकास करना है।
इस अवसर पर ‘सभी आयु वर्गों के समाज की ओर: अवसरों की शुरुआत’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इसमें ‘पीढ़ियों के साथ आने पर मिलने वाले अवसरों’ और ‘अवसरों की शुरुआत’ पर शैक्षणिक संस्थानों, निजी क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों के पक्षकारकों तथा युवाओं और वृद्धों के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श किया।
श्रीमती टैगोर ने कहा, “ मैं हेल्पऐज इंडिया के ब्रांड एम्बेसडर के दायित्व के लिए प्रतिबद्ध हूँ। मुझे उम्मीद है कि इससे बदलाव लाने में मदद मिलेगी और मैं बुज़ुर्गों की समस्याओं को उठाने, जागरूकता बढ़ाने और लोगों से आगे आकर इस विषय का समर्थन करने की आवाज बन सकूंगी।”
देश में लगभग 14 करोड़ वृद्ध हैं और 50 करोड़ लोगों की उम्र 20 वर्ष से कम है। जन्म के समय मौजूदा जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष है और 60 वर्ष की उम्र में यह बढ़कर 78 वर्ष हो जाती है। हेल्पऐज इंडिया के एक अध्ययन ‘ब्रिज द गैप: अंडरस्टैंडिंग एल्डर नीड्स’ के अनुसार कि 79 प्रतिशत वृद्ध महसूस करते हैं कि उनका परिवार उनके साथ पर्याप्त समय नहीं बिताता है। चालीस प्रतिशत वृद्ध ‘नई चीजें सीखना’ चाहते हैं ताकि वे खुद को समाज का हिस्सा और इसमें शामिल महसूस करें।
हेल्पएज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित प्रसाद ने कहा, “ जेनेरेशन टूगेदर अभियान का उद्देश्य विभिन्न पीढ़ियों के बीच बातचीत, संपर्क और सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि हमारा समाज विभिन्न आयुवर्गों के लिए भावनाशील बन सके।”
अध्यक्ष किरण कार्णिक ने कहा,“ वृद्धों को समाज में जोड़ने के लिए विभिन्न पक्षों का सहयोग बहुत आवश्यक है। आज 14 करोड़ वृद्धों की यह आबादी वर्ष 2050 तक 30 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी, इसलिए हमें अपनी स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास और रोजगार नीतियों पर फिर से विचार करने की जरूरत है।”
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