नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (कड़वा सत्य) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापक सहमति के आधार पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ इलाकों में सैन्य टुकड़ियों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है तथा इसका उद्देश्य मामले को डिसएंगेजमेंट से आगे ले जाना है।
श्री सिंह ने कहा,“भारत और चीन एलएसी के कुछ इलाकों में मतभेदों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। बातचीत के परिणामस्वरूप समान और पारस्परिक सुरक्षा के आधार पर व्यापक सहमति बनी है।”
उन्होंने कहा,“इस सहमति में पारंपरिक इलाकों में गश्त और चराई के अधिकार शामिल हैं। इस सहमति के आधार पर डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। हमारा प्रयास मामले को डिसएंगेजमेंट से आगे ले जाने का होगा, लेकिन इसके लिए हमें थोड़ा और इंतजार करना होगा।”
गौरतलब है कि गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत के गश्ती दल पर चीन की सैनिक टुकड़ियों ने धावा बोल दिया था और उसके बाद झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गये थे। चीन की सेना के भी जवान हताहत हुये थे लेकिन उनकी आधिकारिक तौर पर कोई संख्या नहीं बतायी गयी थी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि रक्षा मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘देश का वल्लभ’ प्रतिमा और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में मेजर रालेंगनाओ ‘बॉब’ खाथिंग के ‘वीरता संग्रहालय’ को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद बोल रहे थे।
श्री सिंह ने सरदार पटेल को भावभीनी ंजलि अर्पित की और स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों को एकीकृत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी उपलब्धि है जो एकीकृत भारत के लिए उनके अदम्य संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, “यह प्रतिमा ‘देश का वल्लभ’ लोगों को प्रेरित करेगी, उन्हें एकता में ताकत और हमारे जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक अटूट भावना की याद दिलाएगी।”
श्री सिंह ने मेजर बॉब खाथिंग को भी ंजलि दी, जो एक असाधारण व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने कहा,“मेजर खाथिंग ने न केवल तवांग के भारत में शांतिपूर्ण एकीकरण का नेतृत्व किया, बल्कि सशस्त्र सीमा बल, नागालैंड सशस्त्र पुलिस और नागा रेजिमेंट सहित आवश्यक सैन्य और सुरक्षा ढांचे की स्थापना भी की। ‘वीरता का संग्रहालय’ अब उनकी बहादुरी और दूरदर्शिता के लिए एक ंजलि के रूप में खड़ा है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है।”
एकता और सद्भाव के महत्व तथा राष्ट्र की पहचान में पूर्वोत्तर की अद्वितीय भूमिका को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा,“राष्ट्र का समग्र विकास तभी संभव है जब पूर्वोत्तर समृद्ध होगा। हम ऐसा पूर्वोत्तर बनाएंगे जो न केवल प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत और समृद्ध हो।”
उन्होंने क्षेत्र की प्रगति में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने असम और तवांग को जोड़ने वाली सेला सुरंग का विशेष उल्लेख किया, जो एक ऐसी परियोजना है जो पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाती है। आने वाले समय में, अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे परियोजना पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि 2,000 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक संपत्ति साबित होगा।
कड़वा सत्य