Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र के संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है, जबकि एक मुस्लिम परिवार पिछले 300 साल से इस कब्र की देखभाल कर रहा है।
वीएचपी का कहना है कि औरंगजेब ने मराठा राजा संभाजी को बेरहमी से यातनाएं देकर मारा था। इसलिए, ऐसे व्यक्ति की कब्र को महाराष्ट्र में नहीं रहना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर, खुल्दाबाद में रहने वाला एक परिवार पीढ़ियों से औरंगजेब की कब्र की देखभाल कर रहा है।
खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्य परवेज अहमद ने बताया कि उनका परिवार खानदानी खिदमतगार (सेवक) है। वे पिछले 300 साल से बिना किसी सरकारी मदद के इस कब्र की देखभाल कर रहे हैं। परवेज के मुताबिक, उन्हें कब्र की देखभाल के लिए न तो केंद्र सरकार, न राज्य सरकार और न ही वक्फ बोर्ड की ओर से कोई वित्तीय सहायता मिलती है।
परवेज ने बताया कि खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र पर ज्यादा पर्यटक नहीं आते। अधिकतर लोग अजंता और एलोरा की गुफाएं देखने आते हैं, और कुछ ही लोग कब्र तक पहुंचते हैं। हालांकि, त्योहारों के मौके पर यहां मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं और कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
वीएचपी ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करते हुए कहा है कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था, जिसने हिंदुओं पर अत्याचार किए। इसलिए, उसकी कब्र को महाराष्ट्र में नहीं रहना चाहिए। वीएचपी के इस बयान के बाद से ही इस मामले पर बहस छिड़ गई है।
औरंगजेब की मृत्यु 1707 में हुई थी, और उन्हें खुल्दाबाद में दफनाया गया था। उनकी कब्र एक साधारण स्थल है, जो उनकी सादगी और धार्मिक कट्टरता को दर्शाती है। हालांकि, उनके शासनकाल को लेकर इतिहास में मतभेद हैं, जिसके कारण उनकी कब्र को लेकर विवाद बना हुआ है।
औरंगजेब की कब्र को लेकर यह विवाद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का मामला है। एक तरफ वीएचपी जैसे संगठन कब्र हटाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं एक परिवार पीढ़ियों से इसकी देखभाल कर रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार और समाज इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।