Indus Water Treaty Update: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। इनमें 1960 का सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) निलंबित करना, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करना, और राजनयिक संबंधों में भारी कटौती शामिल है। भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत के कदमों को “गैर-जिम्मेदाराना” और “बिना सबूत” करार दिया है, और जवाबी कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक बुलाई है।
भारत के 5 बड़े फैसले
23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में निम्नलिखित फैसलों की घोषणा की:
सिंधु जल समझौता निलंबित:
भारत ने सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जब तक कि पाकिस्तान “सीमापार आतंकवाद का समर्थन विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता।” यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलुज नदियों के जल बंटवारे का आधार है। निलंबन से पाकिस्तान की 90% सिंचाई और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद:
भारत ने अटारी एकीकृत सीमा चौकी को बंद कर दिया। वैध दस्तावेजों के साथ सीमा पार करने वाले लोग 1 मई 2025 तक इस मार्ग से लौट सकते हैं। यह भारत-पाकिस्तान का एकमात्र खुला सड़क मार्ग था, जिसके बंद होने से व्यापार और आवाजाही पूरी तरह ठप हो जाएगी।
दक्षेस वीजा छूट योजना रद्द:
पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC Visa Exemption Scheme (SVES) के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। भारत में मौजूद ऐसे नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा। यह कदम दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही को और सीमित करेगा।
पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों का निष्कासन:
नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना, और वायु सलाहकारों को पर्सोना नॉन ग्रेटा (अवांछित व्यक्ति) घोषित किया गया। उन्हें 7 दिन में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया। भारत ने भी इस्लामाबाद में अपने सैन्य सलाहकारों को वापस बुलाने का फैसला किया। दोनों देशों के उच्चायोगों में ये पद निरस्त कर दिए गए हैं।
उच्चायोग कर्मचारियों में कटौती:
भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी, जो 1 मई 2025 तक लागू होगा। यह कदम राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ले जाएगा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: इशाक डार की चेतावनी
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने 23 अप्रैल 2025 को एक स्थानीय न्यूज चैनल से बातचीत में भारत के फैसलों की तीखी आलोचना की। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, डार ने कहा:
“भारत ने पहलगाम हमले में आतंकवाद के लिए कोई सबूत नहीं दिए। ये फैसले गुस्से और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का परिणाम हैं।”
“भारत हर संकट के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराता है। आतंकवाद पर इस तरह गुस्सा जाहिर करना सही नहीं।”
“भारत के बयान अनुचित हैं। हमारी NSC बैठक में जवाबी रणनीति तैयार की जाएगी।”
डार ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर सिंधु जल समझौते के निलंबन को चुनौती दे सकता है, क्योंकि यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था।
पाकिस्तान की NSC बैठक
भारत के फैसलों के जवाब में पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठक बुलाई, जिसमें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, और खुफिया एजेंसी ISI के डीजी शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा हुई:
- भारत के खिलाफ जवाबी कूटनीतिक कदम, जैसे भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करना।
- विश्व बैंक और UN में सिंधु जल समझौते के निलंबन की शिकायत दर्ज करना।
- क्षेत्रीय सहयोगियों, जैसे चीन और सऊदी अरब, से समर्थन मांगना।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने X पर लिखा, “भारत का यह कदम क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाएगा। हम इसका जवाब देंगे, लेकिन शांति हमारी प्राथमिकता है।”
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक मारे गए। जांच में लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) की संलिप्तता सामने आई, जिसमें 7 आतंकियों (4-5 पाकिस्तानी मूल के) की भूमिका थी। आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया। इस हमले को 2008 मुंबई हमले के बाद सबसे घातक माना जा रहा है।
सिंधु जल समझौताक्यों अहम है?
सिंधु जल समझौता (1960) भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का आधार है, जिसे विश्व बैंक ने मध्यस्थता में बनाया था। इसके प्रमुख बिंदु:
- भारत का नियंत्रण: रावी, ब्यास, और सतलुज नदियों पर।
- पाकिस्तान का नियंत्रण: सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों पर।
- जल उपयोग: भारत इन नदियों का 20% पानी (33 मिलियन एकड़ फीट) उपयोग कर सकता है, बाकी पाकिस्तान को जाता है।
निलंबन का असर:
पाकिस्तान: सिंचाई और बिजली उत्पादन पर संकट, क्योंकि वह 90% सिंचाई के लिए सिंधु बेसिन पर निर्भर है। पंजाब और सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
भारत: भारत अब झेलम और चिनाब पर बांध और जलविद्युत परियोजनाएं (जैसे रतले, पकल दुल) बिना प्रतिबंध तेज कर सकता है। हालांकि, तत्काल जल रोकना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
- अमेरिका: विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, “हम दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत की अपील करते हैं।”
- चीन: पाकिस्तान के करीबी सहयोगी के रूप में, चीन ने भारत के कदमों को “एकतरफा” बताया और क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता जताई।
- विश्व बैंक: विश्व बैंक ने कहा कि वह दोनों पक्षों के साथ बातचीत करेगा, लेकिन समझौते का निलंबन “जटिल कानूनी मुद्दा” है।
भारत का रुख
भारत ने स्पष्ट किया कि यह कदम सीमापार आतंकवाद के खिलाफ उसकी शून्य सहनशीलता नीति का हिस्सा है। विदेश सचिव मिस्री ने कहा, “पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर में हाल के लोकतांत्रिक और आर्थिक प्रगति को बाधित करने की साजिश है। भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।”