Vijay Pandey Journey: बिहार के छपरा जिले के पिपरा गाँव की मिट्टी की सोंधी खुशबू से लेकर मुंबई की चकाचौंध तक, विजय पांडेय की जिंदगी एक प्रेरणादायी सफर है। कोलकाता में जन्मे, पटना में पढ़े-लिखे, और मुंबई में सपनों को हकीकत में बदलने वाले विजय ने अभिनय की दुनिया में अपनी जगह बनाई। कालिदास रंगालय के मंच से शुरू हुआ उनका सफर आज Netflix, MX Player, और Sarpanch Sahab जैसी OTT सीरीज तक पहुंच चुका है। उनकी कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहरों से निकलकर बड़े सपने देखता है। आइए, विजय पांडेय के इस संघर्ष और सफलता की कहानी को करीब से जानते हैं।
पिपरा की मिट्टी, पटना की रफ्तार
विजय पांडेय का जन्म कोलकाता की हलचल भरी गलियों में हुआ, लेकिन उनकी जड़ें बिहार के छपरा जिले के पिपरा गाँव से जुड़ी रहीं। उनके पिता एक होटल व्यवसायी थे, और परिवार धीरे-धीरे पटना में बस गया। विजय ने अपनी पढ़ाई पटना के राम मनोहर राय सेमिनरी से +2 और ए.एन. कॉलेज से ग्रेजुएशन तक पूरी की। पटना उनके लिए एक ऐसा शहर था, जो गाँव की सादगी और शहर की रफ्तार को जोड़ता था।
पिपरा गाँव की यादें विजय के दिल में आज भी ताजा हैं। वे कहते हैं, “गाँव की मिट्टी की सोंधी खुशबू और वहाँ की सादगी मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है। पटना ने मुझे सपनों को उड़ान देना सिखाया।”
कालिदास रंगालय: अभिनय का पहला पाठ
विजय की जिंदगी में अभिनय का बीज तब बोया गया, जब वे +2 में थे। स्कूल जाते वक्त उनकी साइकिल कालिदास रंगालय के सामने से गुजरती थी। हर शाम वहाँ जमा होने वाली भीड़ उनकी उत्सुकता जगाती थी। एक दोस्त के पिता रंगालय से जुड़े थे, जिन्होंने उन्हें बताया कि यहाँ नाटक मंचित होते हैं।
विजय बताते हैं, “पिपरा में दुर्गापूजा के दौरान साड़ी और चादर से बने स्टेज पर नाटक देखे थे। लेकिन कालिदास रंगालय का अनुभव जादुई था। प्रोफेशनल स्टेज, लाइटिंग, और दर्शकों की तालियाँ—मैं मंत्रमुग्ध हो गया।” उस दिन उनके अंदर अभिनय का कीड़ा जागा, और उन्होंने ठान लिया कि इसे कभी बाहर नहीं निकालेंगे।
शुरुआती संघर्ष: परिवार का समर्थन, पहली सफलता
अभिनय का रास्ता चुनना आसान नहीं था। विजय ने परिवार को बताने में हिचकिचाहट महसूस की, क्योंकि यह उनके परिवार के लिए नया क्षेत्र था। शुरू में कुछ विरोध हुआ, लेकिन धीरे-धीरे परिवार ने उनका साथ दिया। विजय ने नाटकों में हिस्सा लेना शुरू किया, और उनके परिवार वाले दर्शक बनकर उनके प्रदर्शन देखने आने लगे।
जब अखबारों में विजय के नाटकों की तारीफ छपने लगी, तो परिवार को भरोसा हुआ कि उनका बेटा सही रास्ते पर है। विजय ने पटना दूरदर्शन और ETV बिहार के धारावाहिकों में छोटे-छोटे रोल किए। इन प्रोजेक्ट्स में उन्होंने स्क्रिप्टिंग, कैमरा वर्क, एडिटिंग, और डायरेक्शन जैसी बारीकियाँ सीखीं। वे कहते हैं, “कम बजट के प्रोजेक्ट्स में एक शख्स को कई किरदार निभाने पड़ते थे। यह अनुभव मेरे लिए गुरुकुल की तरह था।”
मुंबई का सपना: हिम्मत और हौसला
मुंबई विजय का सबसे बड़ा सपना था, लेकिन वहाँ के संघर्ष की कहानियाँ उन्हें डराती थीं। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला लेने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। निराशा के ब Ubiquity की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ समय के लिए उन्होंने न्यूज़ चैनल में नौकरी की, लेकिन मुंबई का सपना उनके दिल में बरकरार रहा।
31 दिसंबर 2010 की रात, विजय ने नौकरी छोड़कर मुंबई की ट्रेन पकड़ी। 1 जनवरी 2011 को वे मुंबई पहुँचे और अपने सपनों को हकीकत में बदलने का संघर्ष शुरू किया। पहले भी वे मुंबई आ चुके थे, लेकिन ज्यादा दिन नहीं रुक पाए थे। उस दौरान वे अपनी फोटो प्रोडक्शन हाउस में बाँटते थे। 2011 में उन्होंने मुंबई में डेरा डाल लिया और ऑडिशन्स की दुनिया में कदम रखा।
मुंबई का संघर्ष: रिजेक्शन से स्टारडम तक
मुंबई में विजय का सफर आसान नहीं था। छोटे-मोटे रोल, टीवी सीरियल्स, और फिल्मों में मामूली किरदार—वे हर मौके को भुनाने की कोशिश करते। ऑडिशन्स में बार-बार रिजेक्शन मिलता, लेकिन हर असफलता ने उनके जुनून को और बढ़ाया। विजय कहते हैं, “मुंबई में आप संघर्ष नहीं करते, आपसे संघर्ष करवाया जाता है। वो रिजेक्शन आपके अंदर कुछ सुलगाते हैं।”
उनके करियर में पहला बड़ा ब्रेक आया Netflix की Khakee: The Bihar Chapter में, जहाँ उन्होंने वकील सिंह का किरदार निभाया। इसके बाद MX Player की Purvanchal Diaries में एक निगेटिव रोल और Tamanchay जैसी फिल्मों में काम मिला। कई बार उनके रोल कट गए, तो कई बार फिल्में डब्बाबंद हो गईं। 15 साल के संघर्ष के बाद उन्हें Sarpanch Sahab सीरीज में अहम किरदार मिला।
Sarpanch Sahab एक ऐसी सीरीज है, जो गाँव की जिंदगी और सामाजिक मुद्दों को दर्शाती है। इसमें विनीत कुमार, नीरज सूद, सुनीता रजवार, अनुध सिंह ढाका, और युक्ति कपूर जैसे कलाकार हैं। विजय कहते हैं, “यह सीरीज हर गाँव की कहानी है। इसमें कोई अश्लीलता नहीं, जो इसे परिवार के साथ देखने लायक बनाती है।”
OTT का दौर: कहानी बनी हीरो
OTT प्लेटफॉर्म्स ने विजय जैसे कलाकारों को नया मंच दिया। वे कहते हैं, “OTT पर कहानी हीरो होती है, स्टार नहीं। यह उन कलाकारों के लिए वरदान है, जो बाजारवाद में गुमनाम हो जाते थे।” विजय ने Amazon Prime, Netflix, और MX Player जैसे प्लेटफॉर्म्स पर काम किया, जिसने उनकी प्रतिभा को नई पहचान दी।
कोरोना महामारी के दौरान विजय ने अपने YouTube चैनल GoldenMomentsWithVijayPandey शुरू किया। इस चैनल पर वे फिल्मों और फिल्मी हस्तियों के बारे में अपने अनुभव और नजरिया शेयर करते हैं। चैनल को लाखों लोगों ने पसंद किया, और यह उनके जुनून का नया मंच बन गया। एक सब्सक्राइबर ने लिखा, “विजय सर की कहानियाँ सुनकर लगता है, हम भी उनके साथ सेट पर हैं।”
विजय के लिए पटना सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि उनकी प्रेरणा का स्रोत है। वे कहते हैं, “पटना की सादगी और मेहनत ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। चाहे मैं कोलकाता में बड़ा हुआ, पिपरा से जड़ें जोड़ीं, या मुंबई में संघर्ष किया—पटना का स्पंदन मेरे साथ रहा।”
पटना की सड़कों, गंगा के घाटों, और कालिदास रंगालय की यादें विजय को उनकी जड़ों से जोड़े रखती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “पटना ने मुझे सिखाया कि सपने बड़े हों या छोटे, मेहनत और हिम्मत से सब मुमकिन है।”
विजय भविष्य की ज्यादा योजनाएँ नहीं बनाते। वे कहते हैं, “मेरा दिमाग एक ब्लैकबोर्ड की तरह है, जिस पर कुछ भी लिखा जा सकता है। मैं बस अच्छा काम ढूंढता हूँ और उसे पूरी मेहनत से करता हूँ। बाकी ऊपरवाले की मर्जी।” यह दर्शन उनकी सादगी और समर्पण को दर्शाता है।
सोशल मीडिया पर विजय के फैंस उनकी मेहनत की तारीफ करते हैं। एक फैन ने लिखा, “विजय पांडेय बिहार का गर्व हैं। उनकी कहानी हर छोटे शहर के लड़के को सपने देखने की हिम्मत देती है।”
विजय की नजर अब और बड़े प्रोजेक्ट्स पर है। वे Sarpanch Sahab के अगले सीजन और कुछ बॉलीवुड फिल्मों में काम करने की तैयारी में हैं। उनका YouTube चैनल भी तेजी से बढ़ रहा है, और वे जल्द ही एक डिजिटल टॉक शो लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।
विजय कहते हैं, “मेरा सपना सिर्फ अच्छा काम करना है। चाहे वो नाटक हो, सीरीज हो, या YouTube—मैं अपने दर्शकों के दिल में जगह बनाना चाहता हूँ।”