Donald Trump: नीदरलैंड के हेग में आयोजित नाटो समिट 2025 में एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम (Ceasefire) का क्रेडिट खुद को दे दिया है। ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोर देकर कहा कि अगर उन्होंने हस्तक्षेप न किया होता, तो यह तनाव एक बड़े युद्ध में तब्दील हो सकता था — और शायद एक परमाणु टकराव भी।
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों को स्पष्ट संदेश दिया था: “अगर आप आपस में लड़ाई करोगे, तो अमेरिका तुम दोनों के साथ कोई ट्रेड डील नहीं करेगा।” ट्रंप का कहना है कि यह बात भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व को फोन पर कई बार समझाई गई, और आखिरकार दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए।
उन्होंने दावा किया कि हाल ही में पाकिस्तान के आर्मी जनरल खुद उनके ऑफिस आए थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने “करीबी मित्र” बताते हुए कहा कि वह बहुत “सज्जन और महान व्यक्ति” हैं। ट्रंप ने दावा किया कि मोदी ने उनकी बात सुनी और दोनों देशों ने व्यापार की कीमत पर शांति को चुना।
पुराना दावा फिर दोहराया
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय खुद को दिया हो। इससे पहले भी कई बार — चाहे वह G-7 समिट हो या अमेरिकी प्रेस कॉन्फ्रेंस — ट्रंप ऐसे बयान देते रहे हैं।
हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को पहले भी सिरे से खारिज किया था। विदेश सचिव ने साफ किया था कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच जो बातचीत हुई थी, वह ऑपरेशन सिंदूर या किसी सैन्य तनाव पर नहीं, बल्कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों पर केंद्रित थी।
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम की पहल की गई थी, और भारत ने इसे मानवीय कारणों से स्वीकार किया। इस प्रक्रिया में किसी अमेरिकी दखल या ट्रेड डील जैसी शर्त का कोई लेना-देना नहीं था।
हाल ही में जी-7 समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत जरूर हुई, लेकिन उसमें भारत-पाक संघर्ष विराम को लेकर कोई विशेष चर्चा नहीं हुई थी।
डोनाल्ड ट्रंप के बयानों का वैश्विक मंचों पर असर होना तय है, लेकिन भारत सरकार ने अब तक अपने स्टैंड को स्पष्ट बनाए रखा है। क्या ट्रंप वास्तव में एक संभावित युद्ध को रोकने वाले ‘मीडिएटर’ थे, या फिर यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति है — यह आने वाला समय बताएगा।