Himachal Pradesh Rain: हिमाचल प्रदेश में मानसून की एंट्री ने तबाही का नया इतिहास लिख दिया है। धर्मशाला, कुल्लू, मंडी और कांगड़ा में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। खासकर धर्मशाला के पास एक निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना में अचानक आई बाढ़ से पूरा इलाका दहल उठा।
मजदूर बहे, दो की मौत
धर्मशाला के खनियारा क्षेत्र स्थित मणुणी खड्ड में अचानक पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि निर्माणाधीन इंदिरा प्रियदर्शनी हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहे 15 से 20 मजदूर उसमें बह गए। एक मजदूर की लाश नगुणी क्षेत्र में और दूसरी लूंटा पावर प्रोजेक्ट फेस-2 में बरामद की गई है। प्रत्यक्षदर्शी मजदूरों के अनुसार, यह हादसा दोपहर करीब 1 बजे हुआ, जब मौसम बिल्कुल साफ था, लेकिन पहाड़ों पर अचानक बादल फटने से खड्ड में सैलाब आ गया।
कुल्लू में भी बादल फटा
कुल्लू जिले में चार स्थानों – जीवानाला (सैंज), शिलागढ़ (गड़सा), स्नो गैलरी (मनाली) और होरनगाड़ (बंजार) में बादल फटने की पुष्टि हुई है। इन इलाकों में आठ गाड़ियां, एक पावर प्रोजेक्ट और 10 से ज्यादा पुलिया बह गईं। सैंज के रैला बिहाल क्षेत्र में बादल फटने से तीन लोगों के बहने की सूचना है।
हजारों पर्यटक फंसे, सड़कें टूटीं
बारिश और भूस्खलन से रास्ते बुरी तरह टूट गए हैं। सैंज घाटी के शैंशर, शांघड़ और सुचैहन में 2,000 से ज्यादा पर्यटक 150 से ज्यादा वाहनों में फंसे हुए हैं। लाहौल में भी 25 पर्यटकों के फंसे होने की आशंका है। उधर, खराब मौसम के चलते शिमला और दिल्ली के बीच की दो फ्लाइट्स भी रद्द कर दी गई हैं।
राहत कार्य में जुटा प्रशासन
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। SDRF और स्थानीय पुलिस घटनास्थलों पर मौजूद हैं। कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि बाढ़ तो आई है, लेकिन बादल फटने की पुष्टि नहीं हो सकी है। कुल्लू के अतिरिक्त उपायुक्त अश्वनी कुमार ने बताया कि NDRF की टीम मौके पर तैनात है और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास जारी है।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए हिमाचल प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। खासकर कुल्लू, कांगड़ा, चंबा, मंडी और लाहौल-स्पीति में भारी बारिश और बर्फबारी की संभावना है। लोगों को नदियों-नालों के पास न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
हिमाचल में मानसून सिर्फ बारिश नहीं, मौत और मलबे की दास्तान लेकर आया है। जिन घाटियों को लोग सुकून और शांति के लिए जानते थे, अब वहां सिर्फ चीखें और चीत्कार गूंज रही हैं। सरकार और राहत टीमें भले ही सक्रिय हैं, लेकिन ये सवाल फिर उठता है – क्या पहाड़ अब इतने असुरक्षित हो चुके हैं कि हर बारिश तबाही लेकर आएगी?