Mohan Bhagwat statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि “75 साल की उम्र के बाद रुक जाना चाहिए।” इस टिप्पणी को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या यह संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर था, जो सितंबर 2025 में 75 वर्ष के होने जा रहे हैं?
मोहन भागवत ने क्या कहा?
मौका था आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक मोरोपंत पिंगळे की जीवनी ‘मोरोपंत पिंगळे : द हिंदू आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्चर’ के विमोचन का। सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा –“मोरोपंत जी कहते थे कि 75 साल के बाद समझ लेना चाहिए कि अब रुक जाना चाहिए। अब औरों को करने दो।”
उन्होंने यह बात मोरोपंत पिंगळे की सोच और जीवनशैली को याद करते हुए कही, लेकिन बयान की टाइमिंग और सन्दर्भ को लेकर सियासी गलियारों में नए मायने निकाले जा रहे हैं।
क्या यह पीएम मोदी के लिए संकेत था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे। बीजेपी में पहले से ही अनौपचारिक रूप से यह मापदंड रहा है कि 75 की उम्र पार करने वाले नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर किया जाता है – जैसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ हुआ। ऐसे में भागवत का यह बयान उस संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है।
संजय राउत ने साधा निशाना
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने इस बयान को हाथों-हाथ लेते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। राउत ने कहा –“अब मोदी जी सितंबर में 75 के हो जाएंगे। दुनिया घूमें, दाढ़ी का रंग बदल गया, बाल उड़ गए, अब रिटायरमेंट का समय है। संघ भी इशारा दे रहा है कि अब किनारे हो जाइए।”
राउत ने इसे “संघ का सीधा संदेश” बताते हुए कहा कि अब देश को नए हाथों में सौंपने का वक्त आ गया है।
राजनीतिक संकेत या सामान्य टिप्पणी?
हालांकि भागवत ने अपने बयान में किसी खास व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन इसकी टाइमिंग और संदर्भ ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि संघ और बीजेपी के बीच वर्षों से चली आ रही “अघोषित उम्र सीमा” की परंपरा को फिर से सामने लाया जा रहा है।